एलगार परिषद मामले में बंद स्टैन स्वामी के लिए जेल में स्ट्रॉ और सिपर भेजेगा एनपीआरडी
एलगार परिषद मामले में मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं आदिवासी कार्यकर्ता। नेशनल प्लेटफार्म फार द राइट्स आफ द डिसेबल्ड (एनपीआरडी) की यह प्रतिक्रिया मुंबई की एक विशेष अदालत द्वारा स्वामी की स्ट्रॉ और सिपर की मांग वाली अर्जी खारिज किए जाने के बाद आई।
नई दिल्ली, प्रेट्र। दिव्यांगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले एक संगठन ने कहा है कि पार्किसन बीमारी से ग्रस्त जेल में बंद 83 वर्षीय आदिवासी कार्यकर्ता स्टैन स्वामी के लिए सिपर के इंतजार को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। वह तरल पदार्थ पीने में सहायक यह उपकरण जेल में भेजने की योजना बना रहा है। स्वामी इस समय मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं। एलगार परिषद मामले में उन्हें आठ अक्टूबर को रांची में उनके आवास से गिरफ्तार किया गया था। नेशनल प्लेटफार्म फार द राइट्स आफ द डिसेबल्ड (एनपीआरडी) की यह प्रतिक्रिया मुंबई की एक विशेष अदालत द्वारा गुरुवार को एक बार फिर से स्वामी की स्ट्रॉ और सिपर की मांग वाली अर्जी खारिज किए जाने के बाद आई है।
अदालत ने स्वामी की मांग पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) से जवाब मांगा है। इस मामले में अगली सुनवाई चार दिसंबर को होगी। इसके पहले इस महीने की शुरुआत में जांच एजेंसी ने स्ट्रॉ और सिपर की स्वामी की मांग पर जवाब देने के लिए 20 दिन का समय मांगा था। साथ ही कहा था कि गिरफ्तारी के समय स्वामी से ये आइटम नहीं लिए गए थे।एनपीआरडी ने एक बयान में कहा है कि अगली सुनवाई में अभी सात दिन का समय है और इतने दिनों तक स्वामी को तरल पदार्थ के लिए इंतजार नहीं कराया जा सकता है, इसलिए संगठन ने स्वामी के लिए तलोजा जेल के जेलर को सिपर भेजने का फैसला किया है।
मालूम हो कि पिछले कुछ सालों में भीमा कोरेगांव हिंसा से जोड़ते हुए कई सामाजिक कार्यकर्ताओं, अकादमिक जगत के लोगों, वकीलों, पत्रकारों इत्यादि के घरों पर पुलिस द्वारा अचानक छापा मारा गया और उन्हें ‘अर्बन नक्सल’ करार देकर गिरफ्तार किया गया है। साल 2018 से पुलिस ने कम से कम 12 ऐसे कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है और उन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने से लेकर कथित माओवादियों के साथ संबंध रखने जैसे आरोप लगाए गए हैं।