Move to Jagran APP

एनीमिया है तो अब सबसे अधिक लौह तत्व वाला बाजरा खाइए, रोग भगाइये

एनीमिया है तो चिंता मत कीजिए। बाजरा खाइए। इससे शरीर में लौह तत्व की कमी नहीं रहेगी और न बीमारी आपके पास फटकेगी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 14 Mar 2019 11:29 AM (IST)Updated: Thu, 14 Mar 2019 11:29 AM (IST)
एनीमिया है तो अब सबसे अधिक लौह तत्व वाला बाजरा खाइए, रोग भगाइये
एनीमिया है तो अब सबसे अधिक लौह तत्व वाला बाजरा खाइए, रोग भगाइये

संदीप बिश्नोई, हिसार। एनीमिया है तो चिंता मत कीजिए। बाजरा खाइए। इससे शरीर में लौह तत्व की कमी नहीं रहेगी और न बीमारी आपके पास फटकेगी। हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) के वैज्ञानिकों ने बाजरे की एक ऐसी किस्म ईजाद की है जिसमें लौहतत्व की मात्रा अब तक की किसी भी किस्म के बाजरे से अधिक है।

loksabha election banner

बाजरे की एचएचबी 311 किस्म में 83 से 87 पीपीएम तक लोहे की मात्रा है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के अनुसार इस किस्म को राष्ट्रीय स्तर पर चिह्नित किया जा चुका है। अब इसे रिलीज करना बाकी है। संभावना है कि आने वाले एक से डेढ़ साल में इस किस्म का बीज किसानों को मिलना शुरू हो जाएगा। इस किस्म को बुधवार को एचएयू के कृषि मेले में प्रदर्शित किया गया था। वैज्ञानिकों ने कहा कि यह किस्म खाने में भी स्वादिष्ट है और

इसका उत्पादन भी अन्य किस्मों के समान है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली में हो शामिल

वैज्ञानिकों ने कहा कि बाजरे को सार्वजनिक वितरण प्रणाली में शामिल किए जाने की जरूरत है क्योंकि यह बाजरा (एचएचबी 311 किस्म) मनुष्य के शरीर में रक्त की कमी को दूर करने में बेहद प्रभावशाली साबित होगा। वैज्ञानिकों के अनुसार बच्चों को स्कूल में आयरन की गोली खिलाई जाती है, लेकिन उन्हें बाजरा खिलाया जाए तो इसकी जरूरत ही नहीं होगी। यही नहीं, धीरे-धीरे आयरन शरीर में जाएगा तो यह अधिक प्रभावशाली होगा।

वैज्ञानिकों के अनुसार गर्मियों में बाजरे की रोटी खाना मुश्किल है, लेकिन खिचड़ी या अन्य उत्पाद के माध्यम से बाजरे का सेवन किया जा सकता है। विश्वविद्यालय के होम साइंस कालेज में अब बाजरे के बिस्कुट सहित कई स्वादिष्ट खाद्य उत्पाद बनाए जा रहे हैं। इन उत्पादों के माध्यम से गर्मियों में भी अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।

वैज्ञानिकों के अनुसार विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई बाजरे की एचएचबी 311 किस्म में लोहे की मात्रा 83 से 87 पीपीएम तक है जबकि साधारण बाजरे में यह 50 से 60 पीपीएम तक ही होता है। हालांकि इससे पहले जनवरी में एचएयू ने देश की पहली हाई फोर्टिफाइड किस्म एचएचबी 299 को जारी किया था, जिसमें लोहे की मात्रा 73 पीपीएम तक थी।

16 क्विंटल है प्रति एकड़ उत्पादन

विवि के वैज्ञानिक डा. एसके पाहुजा और डा. विनोद मलिक के अनुसार यह किस्र्म सिंचाई वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इसके लिए कम से कम तीन पानी की आवश्यकता होगी। फसल 75 से 80 दिन में पककर तैयार हो जाती है। उत्पादन 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

हमारा विश्वविद्यालय और वैज्ञानिक किसानों के लिए लगातार बेहतर करने के लिए लगे हुए हैं। वैज्ञानिक इस तरह के कई अन्य प्रोजेक्ट्स पर भी काम कर रहे हैं, जिनके बेहद सकारात्मक परिणाम निकट भविष्य में दिखाई देंगे।

- प्रो. केपी सिंह, कुलपति, एचएयू, हिसार


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.