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एक्सीडेंट में टूटे व खराब हुए शरीर के विभिन्न अंगों को हूबहू बनाने का सफल प्रयोग

इस तकनीक से पैरालिसिस के मरीजों के हाथों के पंजों की मूवमेंट शरीर के अंदर तक के टूटे हुए अंगों की रिपेयरिंग कर दी जाती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 05 Jan 2019 11:02 AM (IST)Updated: Sat, 05 Jan 2019 11:03 AM (IST)
एक्सीडेंट में टूटे व खराब हुए शरीर के विभिन्न अंगों को हूबहू बनाने का सफल प्रयोग
एक्सीडेंट में टूटे व खराब हुए शरीर के विभिन्न अंगों को हूबहू बनाने का सफल प्रयोग

जालंधर, मनोज त्रिपाठी। किसी को पैरालिसिस हो। दुर्घटना में किसी के शरीरिक अंग को नुकसान पहुंचा हो। शरीर में कोई अंग डैमेज हो गया हो, इसका इलाज तो हमारे पास था, लेकिन डैमेज अंग को हूबहू बनाने की 3डी ङ्क्षप्रटेड इंप्लांट तकनीक ने अब सब कुछ आसान कर दिया है। खास बात है कि एक ही दिन में इस तकनीक से पैरालिसिस के मरीजों के हाथों के पंजों की मूवमेंट शरीर के अंदर तक के टूटे हुए अंगों की रिपेयरिंग कर दी जाती है। यह प्रयोग व तकनीक शारीरिक तौर पर कमजोर बच्चों के लिए भी उनके अंगों को सही करने में काफी मददगार साबित हो रही है।

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जालंधर की लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) में चल रही 106वींं साइंस कांग्रेस में काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च चंडीगढ़ ब्रांच सीआसआइओ के वैैज्ञानिकों ने थ्री डी ङ्क्षप्रटर आर्थोटिक्स व इंप्लांट तकनीक को विकसित किया है। प्रोजेक्ट लीडर डॉ. नीलेश कुमार ने बताया कि पहले पैरालिसिस के मरीजों के इलाज में दवाइयों के साथ-साथ फिजियोथेरेपी ही एकमात्र इलाज का साधन था।

इस तकनीक के बाद फिजियोथेरेपी का काम भी पूरा हो जाएगा। इस तकनीक से पीजीआइ चंडीगढ़ व एम्स दिल्ली में मरीजों का इलाज शुरू भी कर दिया गया है। अभी पैरालिसिस के मरीजों के हाथ के पंजों को बनाने का प्रयोग पूरा हो गया है। इन थ्री डी ङ्क्षप्रटेड तकनीक से ग्लव्स तैयार किया जाता है, जो पंजों की मूवमेंट को सही करता है। इसे अगले चरण में कलाई की मूवमेंट व उसके बाद अगले चरणों में शरीर के अन्य भागों की मूवमेंट के लिए प्रयोग किए जा रहा है।

टाइटेनियम से बनते हैं अंग
इसी प्रकार शरीर के किसी भी अंग के दुर्घटना में खराब हो जाने पर या टूट जाने पर इसी तकनीक से टाइटेनियम का उक्त भाग बनाकर अंग से जोड़ दिया जाता है। कुछ समय में उक्त अंग के साथ पूरी तरह से जुड़ जाता है। इसका प्रयोग शारीरिक तौर पर कमजोर किसी भी अंग को शक्तिशाली बनाने के लिए भी किया जा सकता है।

क्‍या हैं लाभ

  • एक दिन में तैयार हो जाता है। दूसरे दिन से इलाज शुरू हो जाता है।
  • जिस उंगली की मूवमेंट बढ़ानी हो उसे पीछे से टाइट कर दिया जाता है।
  • हाथों की उंगलियों के तीनों ज्वाइंट व पांचों उंगलियां एक साथ मूवमेंट कर सकती हैं।
  • दो-चार दिनों की प्रैक्टिस के बाद पंजे व उंगलियों की मूवमेंट दिमाग से कंट्रोल होने लगती है।
  • चार सप्ताह की प्रैक्टिस के बाद मरीज काफी हद तक मूवमेंट में दिमागी संतुलन के सहारे कामयाबी पा लेता है।
  • अगर किसी के सिर के अंदर चोट लगने से कोई हड्डी टूट गई है तो उसे पहले वाली हड्डी की तरह से तैयार कर दिया जाता है।

रोजगार का जरिया बन सकती है तकनीक
डॉ. नीलेश बताते हैं कि सीएसआइओ इस तकनीक को इंटरप्रिन्योर्स के लिए तैयार किया जा रहा है। मेडिकल लाइन में करियर बनाने वाले बेरोजगार युवा इसका लाभ लेकर इसे करियर के रूप में भी अपना सकते हैं और मरीजों का इलाज कर सकते हैं।  


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