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अब कोरोनावायरस को हराकर विजेता बने लोग ‘सामाजिक लांछन’ का हो रहे शिकार

एक हालिया अध्ययन के मुताबिक कोरोना को हराकर विजेता बने लोग भी इसके शिकार हैं। वे समाज और परिवार के तिरस्कार के कारण हो रहे हैं अवसाद के शिकार।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 12:38 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 12:38 PM (IST)
अब कोरोनावायरस को हराकर विजेता बने लोग ‘सामाजिक लांछन’ का हो रहे शिकार
अब कोरोनावायरस को हराकर विजेता बने लोग ‘सामाजिक लांछन’ का हो रहे शिकार

नई दिल्ली [सीमा झा]। विश्व स्वास्थ्य संगठन हो या भारत का स्वास्थ्य मंत्रालय अथवा इंडियन जर्नल ऑफ साइकेट्री के अध्ययन, इन सभी ने संक्रमण के बढ़ते कारणों में से एक बड़ा कारण कोविड-19 से जुड़ गए ‘सामाजिक लांछन’ को बताया है। कोविड अब एक लांछन बन गया है, जो डराता ही नहीं बल्कि लोगों को बुरे बर्ताव के लिए उकसाता है। इस लांछन से बचने के लिए लोग कोविड की जांच कराने से बचते हैं या लक्षणों को छिपा लेते हैं। लेकिन छिपाने और न बताने से खुद का नुकसान तो होता ही है, संक्रमण फैलने की आशंका होती है सो अलग।

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मुंबई की साइकोथेरेपिस्ट डॉक्टर प्रकृति पोद्दार के मुताबिक, यह एक गंभीर विषय है, जिस पर कम ध्यान गया है। सामाजिक लांछन यानी सोशल स्टिग्मा की वजह सीधे तौर पर इस बीमारी को लेकर पर्याप्त व सही जानकारी न होना है। पूर्व में अन्य बीमारियों (जैसे एड्स आदि) के समय भी संक्रमित लोगों के साथ ऐसा ही बर्ताव किया गया। पर कोरोना से संक्रमित हो रहे लोगों के साथ-साथ ठीक हुए लोगों के प्रति समाज की ऐसी ही असंवेदनशीलता निराश करती है। इसने कोरोना से ठीक हुए लोगों को अवसाद में धकेल दिया है। वे समाज से कटे रहते हैं। 

सर गंगाराम हॉस्पिटल, नई दिल्ली की वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉक्टर आरती आनंद कहती हैं, ‘इतिहास उन्हें ही याद रखता है जो इंसानियत को जिंदा रखते हैं, मुश्किल परिस्थिति में रहे समाज की सहायता के लिए आगे आते हैं। आज आपके पास यह मौका है, अपनी जानकारी दुरुस्त करें, एक स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए उत्साह जगाएं, आगे आएं।’

जरूरी कदम

- भ्रमित करने वाली सूचनाओं से बचें।

- तथ्यपरक, तार्किक सूचनाओं पर ही भरोसा करें।

- ठीक होकर घर लौटे लोगों का मनोबल बढ़ाएं, न कि उनसे दूरी बनाएं।

- संक्रमण से प्रभावित लोगों के नाम, उनकी पहचान, उनके घर का पता सोशल मीडिया पर साझा न किया जाए।

- जो लोग स्वस्थ हो गए हैं, उनकी संकल्प शक्ति की तारीफ करें। उनकी जीत की कहानियों को लोगों से शेयर करें।

- संक्रमण के फैलाव के लिए किसी समुदाय या किसी इलाके को जिम्मेदार न ठहराया जाए।

- जिनका उपचार चल रहा है, उन्हें ‘संदिग्ध ’ कहने से बचें। वे तो विजेता बनकर लौटे हैं। उनसे सीख लेनी है हमें।

यदि आप अवसादग्रस्त मित्र की मदद करना चाहते हैं तो...

- आशा के दामन को कसकर थामें, मित्र को प्रेरित करते रहें।

- आपके हावभाव से झलके समानुभूति और करुणा।

- जीवन को नुकसान पहुंचाने वाले लक्षणों पर नजर बनाए रखें।

- वे कैसे उबर सकते हैं, उन विकल्पों पर करें बात।

- ठोस पहल हो न कि महज आश्वासन।

- अपनी और दोस्त की संकल्प शक्ति कभी कमजोर न पड़ने दें।

- छोटे -छोटे लक्ष्य के साथ जीत की तरफ बढ़ें और उन्हें मिलकर करें सेलिब्रेट।

- आप परवाह करते हैं और उनसे जुड़े हुए हैं , इसका उन्हें लगातार एहसास कराते रहें।

- किसी प्रकार की पूर्वाग्रहों से खुद को दूर रख पूरी निष्पक्षता से उन्हें सुनें।

- अपना खयाल रखने का अभ्यास जरूरी है, यह प्रेरणा उनमें जगाएं। उन्हें प्रोत्साहन दें।

- खुद को भी तथ्यपरक विश्वसनीय सूचनाओं से लैस करें। अपडेट रहें।

(साइकोलॉजी टुडे डॉट कॉम से साभार)  


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