अब नहीं लटकेंगे नदी जल बंटवारे से जुड़े विवाद, जानिए- सरकार की नई स्कीम
राष्ट्रीय स्तर पर एक ट्रिब्यूनल का होगा गठन दो साल में सभी मामले निपटाएगा। मंत्रिमंडल की बैठक में अंतरराज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम में बदलाव का फैसला।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राज्यों के बीच नदियों के जल बंटवारे से जुड़े विवाद अब सालों-साल नहीं लटकेंगे। सरकार ने ऐसे सभी विवादों के त्वरित निपटारे को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत अब एक राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल गठित होगा, जो दो साल के भीतर राज्यों के बीच पैदा होने वाले विवादों का निपटारा करेगा। इसके साथ ही राज्यों के बीच चल रहे नदी जल विवाद के निपटारे के लिए पहले से गठित सभी ट्रिब्यूनल निष्प्रभावी हो जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में अंतरराज्यीय नदी जल विवाद (आइएसआरडब्लूयूडी) अधिनियम 1956 में बदलाव का फैसला किया गया। इसके तहत इसे पहले के मुकाबले और सरल व कारगर बनाया जाएगा।
मंत्रिमंडल में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि मौजूदा समय में राज्यों के बीच नदी जल बंटवारे से जुड़े विवादों को निपटाने के लिए कई ऐसे ट्रिब्यूनल मौजूद है, जो 27 सालों से काम कर रहे हैं। बावजूद इसके विवाद का कोई निपटारा नहीं हो पाया है।
ऐसे में सरकार ने नदी जल बंटवारे से जुड़े सभी विवादों के निपटारे के लिए देश में सिर्फ एक ट्रिब्यूनल गठित करने का फैसला किया है। यह ट्रिब्यूनल राष्ट्रीय परिपेक्ष्य और राज्यों के हितों के मुताबिक फैसले लेगा। इसके तहत जरूरत के मुताबिक सिर्फ बेंच (पीठ) का गठन किया जाएगा। जावड़ेकर ने बताया कि सरकार जल्द ही इसे लेकर एक विधेयक लाएगी।
केंद्र सरकार ने यह फैसला ऐसे समय लिया है, जब राज्यों के बीच ऐसे मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। सभी राज्यों की ओर से ट्रिब्यूनल गठित करने की मांग भी उठ रही है। आमतौर पर राज्यों के बीच नदियों के जल बंटवारे का मामला बातचीत से हल न हो पाने की स्थिति में इसका न्यायिक निर्णय करने की व्यवस्था है। इसके तहत ही ट्रिब्यूनल का गठन किया जाता है।
मौजूदा समय में ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच महानदी जल विवाद ट्रिब्यूनल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच कृष्णा जल विवाद ट्रिब्यूनल, कर्नाटक और गोवा के बीच महादयी जल विवाद ट्रिब्यूनल के अलावा पंजाब और हरियाणा के बीच भी जल विवाद को लेकर ट्रिब्यूनल का गठन किया गया है। इसके अलावा मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच केन-बेतवा के जल को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है।