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अब गेंद मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के पाले में: पूर्व न्यायाधीश जस्टिस केटी थामस

कानूनी बिरादरी ने सुप्रीम कोर्ट के चारों न्यायाधीशों के संवाददाता सम्मेलन को अप्रत्याशित करार दिया। कुछ ने इसे दुखद कहा है जबकि कुछ ने कहा है कि इस कदम के पीछे कुछ बाध्यकारी कारण होंगे।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 12 Jan 2018 08:12 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jan 2018 08:12 PM (IST)
अब गेंद मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के पाले में: पूर्व न्यायाधीश जस्टिस केटी थामस
अब गेंद मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के पाले में: पूर्व न्यायाधीश जस्टिस केटी थामस

तिरुअनंतपुरम, आइएएनएस/प्रेट्र। देश पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालकृष्णन एवं अन्य दो पूर्व न्यायाधीशों ने सुप्रीम कोर्ट के चार वर्तमान न्यायाधीशों के संवाददाता सम्मेलन को अप्रत्याशित कहा है। पूर्व न्यायाधीशों ने शीघ्र ही पूर्ण कोर्ट की बैठक बुलाने की उम्मीद जताई है।

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पूर्व मुख्य न्यायाधीश बालकृष्णन ने मीडिया से कहा कि वह न तो चारों न्यायाधीशों का समर्थन और न ही विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'जो हुआ है वह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है और इसे टाला जाना चाहिए था। न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर कभी सवाल नहीं उठना चाहिए था। घटनाक्रम से आम आदम यही मानेगा कि चीजें सही दिशा में नहीं जा रही हैं। पूर्ण अदालत शीघ्र बुलाई जाए।'

पूर्व न्यायाधीश जस्टिस केटी थामस ने कहा, 'अब गेंद मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के पाले में है। वही इसका समाधान कर सकते हैं।' पूर्व न्यायाधीश जस्टिस केएस राधाकृष्णन ने कहा कि चारों वर्तमान न्यायाधीशों का लिखा पत्र सामान्य है।

हेगड़े बोले- न्यायपालिका को अपूरणीय क्षति
सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीशों के संवाददाता सम्मेलन पर गहरा क्षोभ जताते हुए पूर्व सालिसिटर जनरल एन. संतोष हेगड़े ने शुक्रवार को कहा कि इससे न्यायपालिका को अपूरणीय क्षति हुई है। लोकतंत्र में लोगों का भरोसा विधायिका और कार्यपालिका से उठ चुका है। उनका भरोसा न्यायपालिका में है। न्यायाधीशों का इस तरह सार्वजनिक रूप से सामने आने से लोगों का भरोसा इस प्रणाली से उठ सकता है।

कानूनी बिरादरी ने अप्रत्याशित कहा
कानूनी बिरादरी ने सुप्रीम कोर्ट के चारों न्यायाधीशों के संवाददाता सम्मेलन को अप्रत्याशित करार दिया। कुछ ने इसे दुखद कहा है जबकि कुछ ने कहा है कि इस कदम के पीछे कुछ बाध्यकारी कारण होंगे। कुछ कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि घटनाक्रम ने न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर दिया है। ऐसे विशेषज्ञों में वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी, पूर्व न्यायाधीश जस्टिस आरएस सोढी और जस्टिस मुकुल मुदगल आदि शामिल हैं। वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने चारों न्यायाधीशों के कदम का स्वागत किया है।

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