ईपीसी मॉडल से पूरी होंगी अटकी सड़क परियोजनाएं, 30 हजार करोड़ के 30 प्रोजेक्ट हैं अटके
इस समय एनएचएआइ की तकरीबन 30 हाईवे परियोजनाएं अटकी हुई हैं। लगभग तीस हजार करोड़ रुपये लागत वाली इन परियोजनाओं के प्रमोटर इनसे पीछा छुड़ाना चाहते हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आर्थिक सुस्ती के कारण अटक गई सड़क परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए एनएचएआइ नया मॉडल अपना रहा है। इसके तहत प्रमोटरों को पूरे हो चुके हिस्से की रकम देकर परियोजना से हटाया जा रहा है तथा शेष हिस्से के निर्माण के लिए किसी अन्य प्रमोटर का चयन किया जा रहा है। अधूरे हिस्सों को ईपीसी मॉडल पर पूरा करने का प्रस्ताव है।
अटकी हुई हैं 30 हाईवे परियोजनाएं
इस समय एनएचएआइ की तकरीबन 30 हाईवे परियोजनाएं अटकी हुई हैं। लगभग तीस हजार करोड़ रुपये लागत वाली इन परियोजनाओं के प्रमोटर इनसे पीछा छुड़ाना चाहते हैं। इन पर आर्थिक सुस्ती का ऐसा असर पड़ा है कि वे परियोजनाएं पूरा करने की स्थिति में नहीं हैं। न तो इनके खुद के पास पूंजी बची है और न ही उन्हें बाजार से पैसा मिल रहा है। बैंक और वित्तीय संस्थानों ने इनसे कन्नी काट ली है। स्थिति को भांप कुछ प्रमोटरों ने स्वयं नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में दिवालिया प्रक्रिया के लिए आवेदन दिया है, जबकि कुछ के खिलाफ शिकायतों के बाद एनसीएलटी ने स्वयं दिवालिया प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। सरकार ने एनएचएआइ से ऐसे सभी प्रमोटरों के साथ परियोजना को समय से पूर्व बंद करने के लिए एक पूरक समझौता करने को कहा था। इसके तहत प्रमोटरों को उनके द्वारा किए गए कार्य का शतप्रतिशत अथवा लिए गए कर्ज का 90 फीसद भुगतान किया जाएगा। अटकी सड़क परियोजनाओं में नौ परियोजनाएं वो हैं जिन्हें पूरा करने का जिम्मा संकटग्रस्त कंपनी आइएल एंड एफएस ने लिया था।
वित्त मंत्रालय से बैंक गारंटी की शर्त हटाने का अनुरोध
अटकी परियोजनाओं के बारे में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी कह चुके हैं कि इनके प्रमोटरों की सबसे बड़ी समस्या ये हैं कि उन्हें बैंक गारंटी नहीं मिल रही है। इसलिए उन्होंने वित्त मंत्रालय से बैंक गारंटी की शर्त हटाने का अनुरोध किया है। बैंक गारंटी का प्रयोग अनुबंध के अनुपालन में विफल होने की स्थिति में किया जाता है। बैंक उन्हीं परियोजनाओं को बैंक गारंटी प्रदान करते हैं जिनकी वित्तीय स्थिति मजबूत होती है। सड़क परियोजनाओं के मामले में एनएचएआइ केवल अधिसूचित बैंकों द्वारा प्रदत्त बैंक गारंटी को स्वीकार करता है।
ये है ईपीसी मॉडल
गडकरी के अनुसार सरकार सड़क परियोजनाओं के बारे में सरकार विश्व बैंक द्वारा तैयार उन दिशानिर्देशों को अपनाने पर विचार कर रही है, जिनमें बीमित परियोजनाओं के लिए बैंक गारंटी की जरूरत नहीं होती। बता दें कि ईपीसी (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन) मॉडल के तहत सरकार प्रमोटर को अग्रिम तौर पर पूरे पैसे का भुगतान करती है। बाद में परियोजना पूरी होने पर टोल संग्रह के जरिए इसकी भरपाई की जाती है।