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कालभैरव के प्रसाद से सैनिटाइजेशन, चढ़ावे के लिए प्रशासन उपलब्‍ध करा रही मदिरा

उज्जैन के कालभैरव मंदिर का हाल जहां हर रोज चढ़ती थी कई लीटर मदिरा अब प्रशासन द्वारा उपलब्ध मदिरा ही उज्‍जैन के कालभैरव मंदिर में चढ़ाई जा रही है

By Monika MinalEdited By: Published: Tue, 14 Apr 2020 09:54 AM (IST)Updated: Tue, 14 Apr 2020 10:06 AM (IST)
कालभैरव के प्रसाद से सैनिटाइजेशन, चढ़ावे के लिए प्रशासन उपलब्‍ध करा रही मदिरा
कालभैरव के प्रसाद से सैनिटाइजेशन, चढ़ावे के लिए प्रशासन उपलब्‍ध करा रही मदिरा

उज्जैन [राजेश वर्मा]। लॉकडाउन का प्रभाव धर्मधानी और मंदिरों के शहर के रूप में ख्यात उज्जैन में भी दिख रहा है। इन दिनों यहां सबकुछ थम-सा गया है। लॉकडाउन के कारण मंदिरों में भी बहुत कुछ बदला है। कालभैरव मंदिर में भी सन्नाटा पसरा हुआ है। यहां रोजाना सैकड़ों भक्त बाबा को मदिरा का भोग लगाते थे। कई लीटर मदिरा का भोग रोज लगता था। मगर अब केवल प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई जा रही मदिरा ही चढ़ाई जा रही है। चढ़ावे के बाद बची मदिरा से पुजारी गर्भगृह को सैनिटाइज कर रहे हैं।

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पहले प्रसाद बांटते थे, अब

राजाधिराज भगवान महाकाल के सेनापति बाबा कालभैरव को नित्य सुबह व संध्या आरती में मदिरा का भोग लगाया जाता है। लॉकडाउन में भी यह परंपरा कायम है। फर्क है तो सिर्फ इतना की लॉकडाउन के पहले भगवान को अर्पित मदिरा भक्तों को प्रसाद रूप में बांटी जाती थी, लेकिन अब मंदिर में भक्तों के प्रवेश पर रोक लगी हुई है। ऐसे में बचे हुए मदिरा प्रसाद का सैनिटाइजर के रूप में उपयोग कर गर्भगृह की दीवारों पर मढ़ी गई चांदी, रैलिंग, झरोखों की जालियों आदि की सफाई की जा रही है।

प्रशासन कर रहा इंतजाम

पुजारी धमेर्ंद्र चतुर्वेदी के अनुसार भगवान को मदिरा का भोग लगाया जा रहा है। इसके लिए मदिरा प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है। भगवान को भोग लगाने के बाद बचे हुए प्रसाद का उपयोग मंदिर के गर्भगृह को सैनिटाइज करने में इसलिए किया जा रहा है ताकि प्रसाद का अनादर न हो। मंदिर में ही स्वच्छता में इसका उपयोग हो। मदिरा में डेटॉल लिक्विड भी मिलाया जा रहा है।

चिंतामन गणेश को नहीं मिल रहे मोतीचूर के लड्डू, हलवा-चूरमा से काम

शहर के षड्विनायक मंदिरों में से एक भगवान चिंतामन मंदिर की ख्याति देशभर में है। यहां रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते थे। अब यहां भी श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित है। भगवान चिंतामन को मोतीचूर के लड्डुओं का भोग नहीं लग रहा। पुजारी बताते हैं कि जब भक्त ही नही पहुंच रहे हैं तो भोग में कटौती तो हो ही जाएगी। हालांकि पुजारी परिवार अपने घरों से चूरमा, हलवा आदि तैयार कर भगवान को भोग लगा रहे हैं। पं. शंकर पुजारी ने बताया कि बाजार में मिष्ठान्न की दुकानें बंद हैं इसलिए भी मोतीचूर के लड्डू नहीं मिल पा रहे हैं। पुजारी परिवार की महिलाएं भोग के लिए घर में मोदक, गुड़ व घी का चूरमा और हलवा प्रसादी बना रही हैं। सुबह व संध्या आरती में इसका भोग लगाया जा रहा है।

इस्कॉन में बनाए जा रहे कपड़े के पुष्प

लॉकडाउन के चलते फूलों की आपूर्ति बाधित हो रही है। ऐसे में इस्कॉन मंदिर में भगवान के श्रृंगार के लिए कपड़े के फूलों का उपयोग हो रहा है। पीआरओ राघव पंडित दास ने बताया कि भगवान के लिए रंग-बिरंगे वस्त्रों से सुंदर पुष्प और इन पुष्पों से चित्ताकर्षक माला तैयार की जा रही है। इन्हीं फूलों से भगवान राधा मदनमोहन, निताई गौर प्रभु आदि का श्रृंगार किया जा रहा है।


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