अब अगले साल से बदलेगी आठवीं तक फेल न करने की नीति, सरकार लाएगी संसद में बिल
यूपीए सरकार ने पढ़ाई के दौरान विद्यार्थियों के स्कूल छोड़ने की बढ़ती संख्या को देखते हुए आठवीं तक फेल ना करने की नीति लायी थी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार में जुटी सरकार को एक और बड़ी सफलता हाथ लगी है। स्कूलों में आठवीं तक फेल ना करने की नीति में बदलाव को अब संसद की स्टैंडिंग कमेटी ने भी इसे स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही इस बिल के अब संसद के मानसून सत्र में पास होने के रास्ते खुल गए है। इससे उत्साहित सरकार इस बदलाव को अगले साल यानि मार्च 2019 से लागू करने की तैयारी में जुट गई है। बदलाव की इस पहल को देश के 25 राज्यों का समर्थन पहले ही मिल चुका है। ऐसे में अब इसके रास्ते में कोई भी अड़चन नहीं बची है।
-संसद की स्टैंडिंग कमेटी ने भी दी इस बदलाव पर सहमति, मानसून सत्र में बिल पास कराने पर रहेगा जोर
-मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने दिए संकेत, 25 राज्य पहले ही दे चुके है अपनी सहमति
मानव संसाधन विकास मंत्रालय का मानना है कि इस बदलाव के बाद स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा। क्योंकि मौजूदा समय में आठवीं तक छात्रों को फेल ना करने की नीति से शैक्षणिक गुणवत्ता में पहले के मुकाबले गिरावट आई है।
हालांकि चार राज्य अभी परीक्षा में बदलाव की इस नीति के खिलाफ है, इनमें आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उड़ीसा और तेलंगाना शामिल है। इन राज्यों ने पिछले दिनों कैब (सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड ऑफ एजुकेशन) की बैठक में भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। यही वजह है कि सरकार ने परीक्षा में बदलाव की नीति में राज्यों को इस मामले में पूर्ण स्वायत्ता दे दी है।
मंत्रालय का मानना है कि वह राज्यों के बीच इस मसले पर कोई टकराव नहीं चाहती है। यही वजह है कि उन्होंने राज्यों को इस मामले में अपने स्तर पर फैसला करने को कहा है। हालांकि नए नियमों के तहत जिन 25 राज्यों ने इस बदलाव का समर्थन किया है, वहां अगले साल यानि मार्च 2019 से पांचवी और आठवीं की परीक्षा होगी और इनमें कमजोर छात्रों को फेल भी किया जाएगा।
गौरतलब है कि यूपीए सरकार ने पढ़ाई के दौरान विद्यार्थियों के स्कूल छोड़ने की बढ़ती संख्या को देखते हुए आठवीं तक फेल ना करने की नीति लायी थी। इसके चलते प्रत्येक छात्र आठवीं तक पास होता चला जाता है, जबकि नौवीं में वह फेल हो जाता है। ऐसे में नौवीं में अचानक छात्रों के फेल होने की संख्या बढ़ गई थी।