अपराधियों के लिए देश से भागना अब मुश्किल होगा, अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए बनाए नए नियम
केंद्र सरकार ने विमानन कंपनियों से कहा कि वे उड़ानों के प्रस्थान से 24 घंटे पहले सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के संपर्क पीएनआर विवरण और भुगतान से जुड़ी जानकारी सीमा शुल्क अधिकारियों से साझा करें। सरकार के इस कदम से अपराधियों के लिए देश से भागना अब मुश्किल हो जाएगा।
नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्र सरकार ने विमानन कंपनियों से कहा है कि वे उड़ानों के प्रस्थान से 24 घंटे पहले सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के संपर्क, पीएनआर विवरण और भुगतान से जुड़ी जानकारी सीमा शुल्क अधिकारियों से साझा करें। सरकार के इस कदम से आर्थिक और अन्य अपराधियों के लिए देश से भागना अब मुश्किल हो जाएगा। तस्करी और अन्य गैरकानूनी व्यापार पर भी इससे रोक लगेगी। इसके साथ ही भारत दुनिया के 60 अन्य देशों के समूह में शामिल हो गया है, जो अंतरराष्ट्रीय यात्रियों का पीएनआर विवरण जुटाता है।
उड़ान से पहले एयरलाइनों को देना होगा अंतरराष्ट्रीय यात्रियों का ब्योरा
वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि यात्रियों के विवरण से मिलने वाली सूचना का उपयोग देश में आने वाले या देश से बाहर जाने वाले यात्रियों की निगरानी में सुधार और जोखिम का पता करने के लिए किया जाएगा। विमानन कंपनियों से अंतरराष्ट्रीय यात्रियों का नाम, संपर्क विवरण (ईमेल-आइडी, मोबाइल नंबर), ट्रैवल एजेंसी का विवरण, सामान की जानकारी और भुगतान का विवरण देने को कहा गया है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) ने सोमवार को 'यात्री नाम रिकार्ड सूचना नियम, 2022' को अधिसूचित करते हुए विमानन कंपनियों को अनिवार्य रूप से इसका अनुपालन करने को कहा है। सरकार ने इस व्यवस्था को जरूरी करने के पीछे की वजह नहीं बताई है।
विश्लेषकों ने कहा कि इसका उद्देश्य बैंकों का ऋण नहीं चुकाने वाले कर्जदारों और अन्य अपराधियों को देश छोड़कर भागने से रोकना है। सरकार खुद संसद में कह चुकी है कि नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या जैसे कुल 38 आर्थिक अपराधी पिछले पांच वर्षों में देश से भाग चुके हैं। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रियों की जानकारी सीमा-शुल्क विभाग को देने का प्रस्ताव पांच साल पहले के बजट में ही रखा था। इसका औपचारिक ढांचा अब जाकर सामने आया है।
अधिसूचना के मुताबिक, इस नियम का पालन नहीं करने पर एयरलाइन को हर उल्लंघन पर न्यूनतम 25,000 रुपये और अधिकतम 50,000 रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ेगा। जरूरत पड़ने पर अन्य कानूनी एजेंसियों या किसी अन्य देश के साथ भी यात्रियों से जुड़ी जानकारी साझा की जा सकेगी। हालांकि, इस तरह का कदम मामले को देखकर उठाया जाएगा।