अब दांतों के डॉक्टर करेंगे सर्दी-बुखार का इलाज, केंद्र सरकार बड़े फैसले की तैयारी में
एलोपैथी चिकित्सकों की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार उठा रही कदम। तीन साल के ब्रिज कोर्स के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में होगी नियुक्ति।
भोपाल, जेएनएन। देशभर में एलोपैथी चिकित्सकों की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। दांत के डॉक्टरों (डेंटिस्ट) को तीन साल का ब्रिज कोर्स कराकर प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ करने की तैयारी है। डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (डीसीआइ) ने यह प्रस्ताव केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा है। इस पर निर्णय मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) को लेना है।
एमसीआइ की जगह नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बनने के कारण इसमें समय लग रहा है। एनएमसी की हरी झंडी मिलने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय यह कोर्स शुरू करेगा।
कोर्स शुरू करने के पहले एक कमेटी बनाकर कोर्स का पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा। इस कमेटी में एमसीआइ, डीसीआइ के अफसर रहेंगे। पाठ्यक्रम में साधारण बीमारियों में उपयोग होने वाली दवाओं, इन बीमारियों की जांच, गैर संचारी रोग जैसे डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कैंसर, बे्रन स्ट्रोक आदि की स्क्रीनिंग, केंद्र व राज्य सरकार के स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बारे में बताया जाएगा।
प्रदेश में हर साल एक हजार डेंटिस्ट पंजीकृत
मध्य प्रदेश में निजी और सरकारी डेंटल कॉलेजों की संख्या 15 है। यहां से निकलने वाले डॉक्टरों में हर साल करीब एक हजार मध्य प्रदेश डेंटल काउंसिल में पंजीयन कराते हैं। हालांकि, सरकारी अस्पतालों में दंत रोग विशेषज्ञों के पद कम होने से उन्हें नौकरी नहीं मिल पाती। निजी अस्पतालों में भी उनके लिए अवसर कम हैं।
ब्रिज कोर्स का प्रस्ताव है
दिव्येंदु मजूमदार (प्रेसीडेंट, डीसीआइ) ने कहा कि डेंटिस्टों को तीन साल का ब्रिज कोर्स कराने का प्रस्ताव है। एमसीआइ की जगह नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बन गया है। कमीशन ठीक से काम संभाल लेगा, इसके बाद इस प्रस्ताव पर निर्णय होगा।