अब बहू-दामाद, सौतेले-बेटा-बेटियों पर भी होगी बुजुर्ग माता-पिता के देखभाल की जिम्मेदारी
इस संशोधन के बाद माता-पिता की अपने बच्चे बहू-दामाद और गोद लिए गए बच्चे सौतेले बेटे और बेटियां भी उनकी देखभाल के लिए बराबर जिम्मेदार होंगे। वो इससे बच नहीं पाएंगे।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अभी तक यही देखने सुनने को मिलता था कि माता-पिता की देखभाल की जिम्मेदारी उनके अपने सगे बेटे और बेटियों पर ही होगी। इसमें भी बेटे को ही सबसे अधिक जिम्मेदार माना जाता था। मगर अब मोदी सरकार ने इसमें बड़ा बदलाव किया है। सरकार ने बुजुर्गों की देखभाल की परिभाषा तय करने वाले मेंटिनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पैरंट्स एंड सीनियर सिटिजन एक्ट 2007 में कुछ और भी चीजें जोड़ी हैं जिससे इस बिल का पूरा लाभ बुजुर्ग माता-पिता को मिल सकेगा।
इस संशोधन के बाद माता-पिता की अपने बच्चे, बहू-दामाद और गोद लिए गए बच्चे, सौतेले बेटे और बेटियां भी उनकी देखभाल के लिए बराबर जिम्मेदार होंगे। वो ये नहीं कह पाएंगे कि वो सौतेले हैं या उनकी ये जिम्मेदारी नहीं है। नए संशोधन के तहत अब बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करने वालों में गोद लिए गए बच्चे, सौतेले बेटे और बेटियों को भी शामिल किया गया है।
बहू-दामाद के अलावा सौतेले बच्चे भी होंगे जिम्मेदार
और तो और नए संशोधन के तहत अब बहू-दामाद ही नहीं बल्कि सौतेले बच्चे भी इसके लिए जिम्मेदार होंगे। कैबिनेट ने बुधवार को एक्ट में ये संशोधन पास भी कर दिया है। नए नियम में माता-पिता और सास-ससुर को भी शामिल किया गया है, चाहे वे सिनियर सिटिजन हो या नहीं। उम्मीद है कि अगले हफ्ते इस बिल को सदन में पेश किया जा सकता है। इसके अलावा नए संशोधन में एक और चीज को शामिल किया गया है, इसके तहत इसमें अधिकतम 10 हजार रुपये मेंटिनेंस देने की सीमा को भी खत्म किया जा सकता है। ये परिवार की हैसियत के हिसाब से तय किया जा सकता है।
देखभाल में रहे विफल तो 6 माह की कैद भी संभव
नए संशोधन में सजा का प्रावधान डबल कर दिया गया है, यानि इसे 6 माह बढ़ा दिया गया है, इससे पहले इस मामले में सजा का प्रावधान 3 माह ही था। दरअसल कई बार जिन बच्चों को अपने माता-पिता की देखभाल करनी होती थी वो उसको ठीक तरह से नहीं करते थे। ऐसे में बुजुर्ग माता-पिता परेशान होते थे। कई बार ऐसी शिकायतें भी सामने आई थीं।
अब ये किया गया है कि यदि देखभाल करने वाले माता-पिता की ठीक तरह से देखभाल नहीं करते हैं और इसकी शिकायत पुलिस के पास पहुंचती है तो उनको इस मामले में 6 माह की सजा भी मिलेगी। देखभाल की परिभाषा में भी बदलाव कर इसमें घर और सुरक्षा को भी शामिल किया गया है। देखभाल के लिए तय की गई राशि का आधार बुजुर्गों, पैरंट्स, बच्चों और रिश्तेदारों के रहन-सहन के आधार पर किया जाएगा।
सीनियर सिटीजन केयर होम्स का पंजीकरण
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने इस तरह के प्रस्ताव को पास होने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बिल लाने का मकसद बुजुर्गों का सम्मान सुनिश्चित करना है। प्रस्तावित संशोधन में 'सीनियर सिटीजन केयर होम्स' के पंजीकरण का प्रावधान रखा गया है। इन केयर होम्स के लिए केंद्र सरकार स्थापना, संचालन और रखरखाव के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित करेगी। इसके अलावा विधेयक के मसौदे में 'होम केयर सर्विसेज' प्रदान करने वाली एजेंसियों को पंजीकृत करने का प्रस्ताव है।
प्रत्येक पुलिस ऑफिसर को नोडल ऑफिसर नियुक्त किया जाएगा
उन्होंने बताया कि देश के तमाम हिस्सों में रहने वाले बुजुर्गों तक पहुंच बनाने के लिए प्रत्येक पुलिस ऑफिसर को एक नोडल ऑफिसर नियुक्त करना होगा। इसकी जिम्मेदारी संबंधित थाने के अधिकारी की होगी। इससे पहले दिल्ली में पुलिस की ओर से यहां रहने वाले सीनियर सिटीजनों से उनके घर पर जाकर संपर्क रखने के निर्देश दिए गए थे जिससे जो बुजुर्ग अकेले रह रहे हैं वो अपने को अकेला न फील करें। उनकी जन्मतिथि आदि को पता करके उस दिन उनके घर पर जाकर उनको गुलाब का फूल देकर जन्मदिन मुबारक तक कहने की कवायद की गई थी। इससे अकेले रहने वाले बुजुर्ग काफी खुश हुए थे। ये इसी दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
अकेले रह रहे बुजुर्गों के कष्ट में आएगी कमी
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि इस विधेयक से उन बुजुर्गों को लाभ मिलेगा जो बड़े शहरों में अकेले रह रहे हैं। इन बुजुर्गों के बच्चे कैरियर की चाह में दूसरे देश जाकर बस गए हैं और अब उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। वो अकेले ही रहकर अपनी देखभाल कर रहे हैं। जो बच्चे यहां रह भी रहे हैं वो पारिवारिक विवादों की वजह से अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अलग रह रहे हैं। वो दिनभर अपने परिवार में ही इतने व्यस्त रहते हैं कि उनको अपने माता-पिता का हालचाल लेने की फुर्सत ही नहीं मिल पाती है। अब ऐसे लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। इस नए बिल से देखभाल करने वाले भी बुजुर्गों के प्रति ज्यादा संवेदनशील और जिम्मेदार बनेंगे।
अधिकतम 90 दिन में निपटानी होगी मेंटीनेंस से संबंधित समस्या
नए संशोधन के तहत ये भी कहा गया है कि यदि कोई सीनियर सिटीजन मेंटीनेंस की रकम से संबंधित शिकायत करता है तो उसे संबंधित महकमे को अधिकतम 90 दिन में निपटाना होगा। यदि 80 साल से अधिक उम्र के सीनियर सिटीजन है और उन्होंने इस तरह की कोई शिकायत की है तो उसको 60 दिन के समय में ही निपटाना होगा। यदि संबंधित अधिकारी ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ भी नियमतः कार्रवाई की जाएगी।