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Coal India: अब बिना जमीन में छिद्र किए पता चलेगा कोयला भंडार

अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग की शुरुआत कोरबा जिले के करतला ब्लाक अंतर्गत बुंदेली तौलीपाली रायगढ़ के राजादही समेत चार जगहों पर होगी। इन चार प्रोजेक्ट के 168 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 10 बिलियन टन से ज्यादा कोयला भंडारण का अनुमान है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 11:36 PM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 11:36 PM (IST)
Coal India: अब बिना जमीन में छिद्र किए पता चलेगा कोयला भंडार
कोल इंडिया को अब भूगर्भीय कोयले की खोज होगी।

प्रदीप बरमैय्या, कोरबा। कोल इंडिया की सेंट्रल माइनिंग प्लानिंग डिजाइनिंग इंस्टीट्यूट(सीएमपीडीआइ) को अब भूगर्भीय कोयले की खोज के लिए जमीन में छेद करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके लिए कोयला मंत्रालय की पहल पर फ्रांस से आयातित अत्याधुनिक वाइब्रोसिस मशीन 2 डी—3 डी सिस्मिक सर्वे (भूकंपीय सर्वेक्षण) की शुरुआत की जा रही है। कोल इंडिया की आनुषांगिक कंपनी सीएमपीडीआइ की टीम देश भर में कोयले की खोज करती है। अब तक जमीन में छिद्र करके (ड्रिल पद्धति) से कोयले का पता लगाया जाता रहा है। कोयला खोजने के इस तरीके में 68 सालों बाद बदलाव होने जा रहा है। 

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कोयला मंत्रालय की पहल पर किया जाएगा 2डी- 3 डी सिस्मिक सर्वे 

अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग की शुरुआत कोरबा जिले के करतला ब्लाक अंतर्गत बुंदेली, तौलीपाली, रायगढ़ के राजादही समेत चार जगहों पर होगी। इन चार प्रोजेक्ट के 168 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 10 बिलियन टन से ज्यादा कोयला भंडारण का अनुमान है। इस नई तकनीक से धन और समय दोनों की बचत होगी। वर्तमान में देश भर में दर्जनों प्रोजेक्ट कोयले की खोज की वजह से लंबित हैं। अब तेजी से कोयला खदान और ब्लॉक विकसित होंगे। छत्तीसगढ़ में इस तकनीक की सफलता के बाद इसे देश के अन्य क्षेत्रों में भी विस्तारित किया जाएगा। 

छत्तीसगढ़ के कोरबा व रायगढ़ से होगी शुरुआत 

कंपन से 500 मीटर क्षेत्रफल में भंडारण का पता लगेगा पुरानी पद्धति में 70 से 100 मीटर गहराई तक ड्रिल करना पड़ता है। एक से अधिक संभावित स्थान पर ड्रिल करने की वजह से अधिक समय लगता है। साथ ही अधिक कर्मचारी भी लगते हैं। नई मशीन वाइब्रोसिस से एक स्थान में ठोकर मारने के बाद उससे होने वाले कंपन से 500 मीटर के क्षेत्रफल(वृत्त) में कोयला भंडारण का पता लगाया जा सकेगा। पुराने तरीके में एक शिफ्ट में 28 कर्मचारी लगते हैं। नई मशीन के उपयोग से यह संख्या घटकर केवल आठ रह जाएगी। दुर्गम स्थानों तक पहुंच होगी आसान: कुमार सीएमपीडीआइ कुसमुंडा कैंप आफिस इंचार्ज प्रवीण कुमार ने बताया कि करतला ब्लाक में सिस्मिक सर्वेक्षण किया जाना है। वाइब्रेशन व लेजर से कोयला भंडारण का पता लगाया जाएगा। पहले दुर्गम स्थानों में कोयले को खोजना मुश्किल था। नई मशीन अब उन स्थानों तक आसानी से पहुंच जाएगी।

 

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