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अब पढ़ाने के साथ-साथ छात्रों को घुमाने भी ले जाएंगे स्कूल, जानिए इस नई शिक्षा नीति के बारे में

मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में छात्रों पर वैसे भी जिस तरह का पढ़ाई का दबाव रहता है उसमें उन्हें घुमाने जैसी गतिविधि से उनके तनाव को खत्म करने में मदद मिलेगी।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 10:52 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 10:58 PM (IST)
अब पढ़ाने के साथ-साथ छात्रों को घुमाने भी ले जाएंगे स्कूल, जानिए इस नई शिक्षा नीति के बारे में
अब पढ़ाने के साथ-साथ छात्रों को घुमाने भी ले जाएंगे स्कूल, जानिए इस नई शिक्षा नीति के बारे में

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नई शिक्षा नीति के कई दिलचस्प पहलुओं में से एक छात्रों को पढ़ाने के साथ-साथ घुमाने का भी है। यह स्कूलों के लिए अनिवार्य होगा। इनमें ऐसे पर्यटन स्थलों पर घुमाने का प्रस्ताव है, जिनमें भारत की समृद्ध विविधता के दर्शन होते हों। इसके लिए देश के सौ पर्यटन स्थलों की पहचान की जाएगी, जहां छात्रों को प्रत्यक्ष ज्ञान और अध्ययन के लिए भेजा जाएगा।

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नीति के मुताबिक इससे छात्रों को इन क्षेत्रों से जुड़ी जानकारी मिलेगी। साथ ही वे स्थलों के इतिहास, वैज्ञानिक योगदान, परंपराओं आदि से भी परिचित हो सकेंगे। छात्रों में भारत भ्रमण की जिज्ञासा भी बढ़ेगी। इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि देश की विविधता, संस्कृति, ज्ञान और भाषाओं के प्रति छात्रों का लगाव भी बढ़ेगा। नीति में इस पूरी मुहिम को 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की योजना से भी जोड़ने का सुझाव भी दिया गया है। इसमें एक-दूसरे राज्य की संस्कृति और भाषा से छात्रों को परिचित कराया जाता है।

तनाव खत्म करने में मिलेगी मदद

मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में छात्रों पर वैसे भी जिस तरह का पढ़ाई का दबाव रहता है, उसमें उन्हें घुमाने जैसी गतिविधि से उनके तनाव को खत्म करने में मदद मिलेगी। उनमें रटने-रटाने जैसी आदत से बाहर निकलकर खुद देखने और समझने की क्षमता विकसित होगी। नीति में साफ कहा गया है कि मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में हम बच्चों में ज्ञान के लिए किताबी निर्भरता को बढ़ा रहे हैं, ऐसे में यह पहल अहम होगी। नीति में इसके साथ ही अन्य जो दिलचस्प बातें हैं, उनमें छात्रों को स्थानीय कला, संगीत, गायन और हुनर से परिचित कराने की पहल भी है। इसके लिए इन क्षेत्रों के निपुण लोगों की पहचान कर उन्हें स्कूलों में मास्टर ट्रेनर के रूप में जोड़ा जाएगा। माना जा रहा है कि इस पहल से स्थानीय कला, गायन, हस्तशिप जैसी विद्याओं का संरक्षण होगा। साथ ही छात्रों को इन योग्यताओं का लाभ भी मिलेगा।


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