Move to Jagran APP

आरटीआइ के तहत जानकारी देने पर जीएसटी लगाने वाले अधिकारी को नोटिस

आयुक्त ने अधिकारी से पूछा है कि किस नियम के तहत आवेदक से शुल्क के साथ जीएसटी लिया गया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 11:54 PM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 11:54 PM (IST)
आरटीआइ के तहत जानकारी देने पर जीएसटी लगाने वाले अधिकारी को नोटिस
आरटीआइ के तहत जानकारी देने पर जीएसटी लगाने वाले अधिकारी को नोटिस

 नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में सूचना का अधिकार (आरटीआइ) के तहत मांगी गई जानकारी उपलब्ध करवाने के एवज में शुल्क के साथ जीएसटी भी लेने के मामले में हाउसिंग बोर्ड के आयुक्त ने संबंधित अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। आयुक्त ने अधिकारी से पूछा है कि किस नियम के तहत आवेदक से शुल्क के साथ जीएसटी लिया गया।

loksabha election banner

गौरतलब है कि आरटीआइ कार्यकर्ता अजय दुबे ने भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) में आरटीआइ अधिनियम 2005 के तहत जानकारी मांगने के लिए आवेदन किया था। उन्होंने रेरा भवन के जीर्णोद्घार पर किए गए खर्च के संबंध में जानकारी मांगी थी।

इस पर रेरा ने जवाब दिया कि इसका उनके पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। लिहाजा उन्होंने हाउसिंग बोर्ड में पांच जुलाई को आवेदन देकर यह जानकारी मांगी। हाउसिंग बोर्ड ने तीन अगस्त को केंद्रीय माल एवं सेवा कर (सीजीएसटी) एवं राज्य माल एवं सेवा कर (एसजीएसटी) नौ-नौ प्रतिशत लगाकर जानकारी दी। दुबे ने 43 रुपये का भुगतान मंडल को छह अगस्त को कर दिया। इसमें 18 दस्तावेजों के दो रुपये प्रति नग के हिसाब से 36 रुपये, जबकि सीजीएसटी 3.5 और एसजीएसटी 3.5 रुपये वसूला गया है।

शुल्क के साथ जीएसटी लेने कि शिकायत जब दुबे ने हाउसिंग बोर्ड के आयुक्त रविंद्र सिंह से की तो उन्होंने बोर्ड के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर को नोटिस जारी कर मामले में जवाब तलब किया है। उधर, दुबे ने बताया कि वे इस मामले में राज्य सूचना आयोग में शिकायत दर्ज कराएंगे कि राज्य सरकार अवैध वसूली कर रही है। वहीं, रेरा ने झूठ बोलते हुए जानकारी देने से मना कर दिया।

जीएसटी के दायरे से बाहर है आरटीआइ 
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के नेतृत्व वाली जीएसटी काउंसिल ने इस साल जनवरी में आरटीआइ एक्ट 2005 के तहत जानकारी देने को जीएसटी के दायरे से बाहर कर दिया है। दुबे ने बताया कि केंद्रीय सूचना आयुक्त एम श्रीधर आचार्युलू ने भी आरटीआइ एक्ट के तहत मांगी गई जानकारी को जीएसटी से बाहर कर दिया था। इसके बावजूद वसूली की गई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.