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भारतीय पर्यावरण सेवा बनाने की मांग पर केंद्र को नोटिस, सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने मांगा जवाब

पर्यावरण सुरक्षा उपायों के लिए अखिल भारतीय सेवा की तर्ज पर भारतीय पर्यावरण सेवा बनाने की मांग वाली याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रशिक्षित लोगों की जरूरत है।

By Amit SinghEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 09:09 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 09:09 PM (IST)
भारतीय पर्यावरण सेवा बनाने की मांग पर केंद्र को नोटिस, सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने मांगा जवाब
भारतीय पर्यावरण सेवा बनाने की मांग पर केंद्र को नोटिस (जागरण.काम, फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: पर्यावरण सुरक्षा उपायों के लिए अखिल भारतीय सेवा की तर्ज पर भारतीय पर्यावरण सेवा बनाने की मांग वाली याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने थोड़ी हिचक के बाद केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रशिक्षित लोगों की जरूरत है।

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सुप्रीम कोर्ट ने पूछी सरकार की मंशा

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और एमएम सुन्द्रेश की पीठ शुरुआत में याचिका पर नोटिस जारी करने में संकोच कर रही थी। पीठ का कहना था कि वह अलग से एक आल इंडिया सर्विस सृजित करने का आदेश कैसे जारी कर सकती है। हालांकि बाद में कोर्ट ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए कहा कि यह पूछा जा सकता है कि केंद्र सरकार का इरादा पूर्व कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशें लागू करने का है कि नहीं।

पर्यावरण पर विशेष ध्यान दिये जाने की जरूरत

वकील समर विजय सिंह की याचिका में कहा गया है कि पर्यावरण और पारिस्थिति की के गिरते स्तर को देखते हुए सिविल सर्विस और सरकार द्वारा इस पर विशेष ध्यान दिये जाने की जरूरत है। याचिका में 2014 में पूर्व कैबिनेट सचिव टी एस आर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। जिसमें एक नई अखिल भारतीय सेवा, ''भारतीय पर्यावरण सेवा'' के सृजन की सिफारिश की गई थी। हालांकि संसद की स्थायी समिति (पीएससी) ने टीएसआर सुब्रमण्यम की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था, जिसमें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा प्रशासित विभिन्न अधिनियमों की समीक्षा की गई थी। जिसमें अन्य बातों के साथ यह भी कहा गया था कि छह पर्यावरण अधिनियमों की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय कमेटी को दिया गया तीन महीने का समय बहुत कम है और सिफारिश की गई थी कि सरकार को कानूनों की समीक्षा के लिए एक नई समिति का गठन करना चाहिए।


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