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किसानों की 25 साल देरी से दाखिल याचिका पर हरियाणा को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने 25 साल की देरी से दाखिल की गई किसानों की मुआवजा बढ़ाने की मांग याचिका पर हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 05:53 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 05:53 PM (IST)
किसानों की 25 साल देरी से दाखिल याचिका पर हरियाणा को नोटिस
किसानों की 25 साल देरी से दाखिल याचिका पर हरियाणा को नोटिस

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने 25 साल की देरी से दाखिल की गई किसानों की मुआवजा बढ़ाने की मांग याचिका पर हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने मुख्य याचिका के साथ ही देरी माफी की अर्जी पर भी राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।

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किसानों ने 1986 के फरीदाबाद में रिहायशी योजना के लिए किये गए भूमि अधिग्रहण में जमीन का मुआवजा 35 रुपये प्रति वर्गगज से बढ़ाकर 175 रुपये प्रति वर्गगज किये जाने की मांग की है।

फरीदाबाद के मेवला महाराजपुर गांव के एक दर्जन से ज्यादा किसानों ने पांच याचिकाओं के जरिये पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के 23 सिंतबर 1993 के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 35 रुपये प्रति वर्गगज की दर से मुआवजा दिया था। किसानों ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 9065 दिन की देरी से याचिका दाखिल की है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण व न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने भूस्वामी किसानों के वकील सोमवीर सिंह देशवाल की दलीलें सुनने के बाद राज्य सरकार को नोटिस जारी किये। इससे पहले देशवाल ने देरी माफी की गुहार लगाते हुए कोर्ट के समक्ष दो पूर्व फैसलों का हवाला दिया जिसमें कोर्ट ने 4000 और 3400 दिन की देरी माफ की थी।

हालांकि कोर्ट ने देरी माफ करते हुए उस आदेश में कहा था कि इस देरी के समय का ब्याज किसानों को नहीं मिलेगा। देशवाल ने कहा कि उनके केस में भी ऐसा ही आदेश दे दिया जाए वे भी उस अवधि के ब्याज का दावा नहीं करते।

उन्होंने देरी का कारण बताते हुए कोर्ट से कहा कि गरीबी के कारण याचिकाकर्ता हाईकोर्ट की एकलपीठ के 35 रुपये प्रति वर्गगज मुआवजा तय करने के फैसले को चुनौती नहीं दे पाए थे। जबकि उसी अधिग्रहण का हिस्सा रहे अन्य किसानों ने एकलपीठ के फैसले को हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ में चुनौती दी थी और खंडपीठ ने 27 जुलाई 2005 को दिए गये फैसले में उनका मुआवजा 35 रुपये से बढ़ाकर 175 रुपये प्रति वर्गगज कर दिया था।

हालांकि इसके बाद उन किसानों ने खंडपीठ के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी थी और 175 रुपये प्रति वर्गगज का मुआवजा अंतिम हो गया था। देशवाल ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की जमीन भी उसी जगह है और उसी अधिग्रहण में अधिग्रहित हुई थी ऐसे में उन्हें भी 175 रुपये प्रति वर्गगज की दर से मुआवजा मिलना चाहिए।

क्या है मामला 
1986 को फरीदाबाद की बल्लभगढ़ तहसील के मेवला महाराजपुर गांव की 84.96 एकड़ जमीन फरीदाबाद के सेक्टर 46 - 1 की रिहायशी योजना के लिए अधिग्रहित की गई थी। भू अधिग्रहण कलक्टर ने 20 रुपये प्रति वर्गगज से मुआवजा दिया था जिसे रिफरेंस कोर्ट ने बढ़ाकर 25 रुपये और हाईकोर्ट की एकलपीठ 35 रुपये प्रति वर्गगज कर दिया था।


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