...जब वेंकैया नायडू ने कहा था, मैं सिर्फ 'उषा पति' बनकर खुश हूं
उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे करीबी माना जाता है। राजनीति के मैदान में भी नायडू जुझारू रहे हैं।
नई दिल्ली, एजेंसी। देश के उपराष्ट्रपति पर के लिए चुने गए मुप्पावारपु वेंकैया नायडू अपने वाक चातुर्य और बुद्धिमानी के लिए जाने जाते हैं। उनके वाक चातुर्य का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रत्याशी घोषित होने से कुछ सप्ताह पहले मई में पार्टी के एक कार्यक्रम में उत्सुक पत्रकारों ने उनसे सवाल किया था। कुछ समाचारपत्रों और टीवी चैनलों द्वारा अप्रैल माह से ही नायडू को उपराष्ट्रपति पद के लिए संभावित दावेदार बताया जाने लगा था।
30 मई को पत्रकारों ने जब इस संदर्भ में उनसे सवाल किया था तो उन्होंने चिर-परिचित शैली में जवाब देते हुए कहा था, 'न मैं राष्ट्रपति बनना चाहता हूं, न उपराष्ट्रपति.. मैं सिर्फ 'उषा-पति' बनकर खुश हूं।' उषा नायडू की पत्नी का नाम है। किसान घर में जन्मे, युवा हुए तो संघ से जुड़े आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में एक किसान परिवार में पैदा होने वाले नायडू बचपन में खेलने के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े। एक मामूली कार्यकर्ता से सफर शुरू करने वाले 68 वर्षीय नायडू भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद तक पहुंचे।
उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे करीबी माना जाता है। राजनीति के मैदान में भी नायडू जुझारू रहे हैं। 1975 से 77 के बीच आपातकाल में नायडू ने इंदिरा सरकार के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लिया था। गिरफ्तार होने तक भूमिगत रहे नायडू आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के स्कूलों में सरकार विरोधी पर्चे बांटा करते थे। किसी को संदेह नहीं हो इसलिए वह स्कूटर पर महिला कार्यकर्ता के साथ निकला करते थे। उनके खिलाफ संजय गांधी की सभा में व्यवधान करने का आरोप लगा था। एक जेल से दूसरी जेल में भेजने के क्रम में उन्हें हथकड़ी पहनाई जाती थी।
इंदिरा गांधी ने जब 1980 में आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री एनटी रामाराव को बर्खास्त किया था तब जनता पार्टी में रहे एस. जयपाल रेड्डी के साथ प्रमुख विपक्षी प्रवक्ता के रूप में नायडू राष्ट्रीय पटल पर आए। दक्षिण भारत में भाजपा एक कमजोर विकेट मानी जाती थी। नायडू ने इसे ताकत दी। दक्षिण में भाजपा को मजबूत करने के लिए उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के पोस्टर भी लगाए हैं।
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