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जानलेवा दिल की बीमारी की वजह बन रहा गैर सेहतमंद खानपान, पढ़ें- शोध में सामने आईं बातें

प्रतिदिन के खानपान में 200 से 300 ग्राम फल 290 से 430 ग्राम सब्जियां 16 से 25 ग्राम बादाम और 100 से 150 ग्राम साबुत अनाज शामिल होना चाहिए। गैर सेहतमंद हाई ब्लडप्रेशर और हाई सीरम कोलेस्ट्राल हार्ट अटैक और एंजाइना से होने वाली मौतों की तीन बड़ी वजहें हैं।

By Nitin AroraEdited By: Published: Fri, 16 Oct 2020 05:45 PM (IST)Updated: Fri, 16 Oct 2020 05:45 PM (IST)
जानलेवा दिल की बीमारी की वजह बन रहा गैर सेहतमंद खानपान, पढ़ें- शोध में सामने आईं बातें
जानलेवा दिल की बीमारी की वजह बन रहा गैर सेहतमंद खानपान।

नई दिल्ली, आइएएनएस। शोधकर्ताओं के मुताबिक गैर सेहतमंद खानपान दुनियाभर में दिल की बीमार से होने वाली मौतों के पीछे की सबसे बड़ी वजह है। विज्ञानियों का मानना है कि स्वास्थ्यवर्धक आहार के जरिये दो-तिहाई लोगों को मरने से बचाया जा सकता है। यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित शोध में किफायती और स्वास्थ्यवर्धक खानपान की उपयोगिता बताई गई है।

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शोधकर्ताओं के मुताबिक प्रतिदिन के खानपान में 200 से 300 ग्राम फल, 290 से 430 ग्राम सब्जियां, 16 से 25 ग्राम बादाम और 100 से 150 ग्राम साबुत अनाज शामिल होना चाहिए। चीन स्थित सेंट्रल साउथ यूनिवर्सिटी से ताल्लुक रखने वाले और शोध के प्रमुख लेखक शिनयाओ लियू ने बताया कि विश्लेषण से पता चलता है कि गैर सेहतमंद, हाई ब्लडप्रेशर और हाई सीरम कोलेस्ट्राल हार्ट अटैक और एंजाइना से होने वाली मौतों की तीन बड़ी वजहें हैं। हार्ट अटैक और एंजाइना को सामूहिक रूप से इस्कैमिक हार्ट डिजीज कहा जाता है।

काíडयाक इस्कैमिया दिल की मांसपेशियों में खून के बहाव और ऑक्सीजन में कमी का नाम है। रिसर्च टीम ने ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी 2017 द्वारा प्रदान किए गए आंकड़ों का विश्लेषण किया। यह स्टडी 1990 से 2017 के बीच 195 देशों में की गई थी। रिसर्च में कहा गया कि वर्ष 2017 में 89 लाख लोगों की मौत इस्कैमिक हार्ट डिजीज हुई। यह 1990 में सभी तरह की मौतों की संख्या का 12.6 फीसद थी। विशेषज्ञों ने इस्कैमिक हार्ट डिजीज से मौत के मामले में 11 रिस्क फैक्टर का पता लगाया है। इसमें गैर सेहतमंद खानपान, हाई ब्लडप्रेशर, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, हाई प्लाज्मा ग्लूकोज, तंबाकू का प्रयोग, बीमएआइ, वायु प्रदूषण, कम शारीरिक गतिविधि सहित अन्य कारक शामिल हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि इन रिस्क फैक्टर को खत्म करके इस्कैमिक हार्ट डिजीज से होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है। 


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