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ज्यादा मीट खाने के हैं शौकीन तो हो जायें सावधान, इस भयंकर रोग के हो सकते हैं शिकार

शोधकर्ताओं का दावा है कि रेड या परिष्कृत मीट के ज्यादा सेवन से नॉन-एल्कोहल फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) का खतरा बढ़ सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 22 Mar 2018 02:54 PM (IST)Updated: Thu, 22 Mar 2018 03:06 PM (IST)
ज्यादा मीट खाने के हैं शौकीन तो हो जायें सावधान, इस भयंकर रोग के हो सकते हैं शिकार
ज्यादा मीट खाने के हैं शौकीन तो हो जायें सावधान, इस भयंकर रोग के हो सकते हैं शिकार

नई दिल्ली (आइएएनएस)। क्या आप मीट खाने के बहुत ज्यादा शौकीन हैं? तो सावधान हो जाएं। शोधकर्ताओं का दावा है कि रेड या परिष्कृत मीट के ज्यादा सेवन से नॉन-एल्कोहल फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) का खतरा बढ़ सकता है। इजरायल की हाइफा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शिरा जेलबर-सैगी ने कहा कि एनएएफएलडी को इंसुलिन प्रतिरोधक और सूजन के साथ मेटाबोलिक सिंड्रोम का कारक माना जाता है।

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नए अध्ययन में ज्यादा मीट खाने वालों में उच्च बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) के साथ ही मेटाबोलिक भी खराब पाई गई। जबकि ज्यादा तला या भुना मीट खाने वालों में सूजन कारक तत्व हेट्रोसाइक्लिक एमाइंस (एचसीए) की उच्च मात्रा पाई गई। इसके चलते इंसुलिन प्रतिरोध की क्षमता बढ़ जाती है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि पश्चिमी जीवनशैली के साथ ही व्यायाम के अभाव और उच्च मात्रा में फ्रक्टोज और संतृप्त वसा के सेवन से एनएएफएलडी की समस्या बढ़ती जा रही है। इस समस्या से पीड़ित लोगों में कैंसर, टाइप-2 डायबिटीज और हृदय रोग होने का भी खतरा बढ़ सकता है।

कॉफी पीने से कम होता है लिवर कैंसर का खतरा

दिन में तीन से पांच कप कॉफी पीना आपको लिवर की कई बीमारियों से छुटकारा दिला सकता है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि कॉफी लिवर कैंसर और सिरोसिस समेत लिवर से जुड़ी कई बीमारियों से लड़ने में सहायक है।

शोधकर्ता ग्रेमे एलेक्जेंडर ने कहा, ‘इस वक्त दुनियाभर में लिवर की बीमारियों का कहर है। ऐसा स्थिति में यह जानना आवश्यक था कि कॉफी इन रोगों की रोकथाम में किस प्रकार मदद कर सकती है।’ कॉफी की सही मात्रा दिन में तीन-चार बार ग्रहण करने से लिवर कैंसर 40 प्रतिशत तक कम हो सकता है।

इटली और अमेरिका में किए गए शोध के अनुसार कॉफी लिवर कोशिकाओं से जुड़े सिरोसिस के खतरे को भी 25 से 70 प्रतिशत तक कम कर सकती है। लिवर की बीमारियों का लक्षण दिखाई न देने के कारण इसे साइलेंट किलर कहा जाता है। 


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