केरल सोना तस्करी की केस डायरी में आतंकी फंडिंग का संकेत नहीं
विदेश राज्यमंत्री ने विजयन से इस्तीफा देने की मांग की है। कोर्ट ने कहा कि या तो एनआइए इस कोर्ट को याचिकाकर्ताओं को हिरासत में रखने के लिए बाध्य करने वाली सामग्री मुहैया कराए नहीं तो अदालत इन्हें अनिश्चितकाल तक हिरासत में नहीं रख सकती।
कोच्चि, एजेंसियां। केरल सोना तस्करी मामले में एनआइए की विशेष अदालत ने कहा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) द्वारा सौंपी गई केस डायरी में ऐसा कुछ भी नहीं दर्शाया गया है जिससे यह पता चलता हो कि आरोपितों द्वारा खर्च की गई राशि आतंकी संगठनों से आ रही थी। यहां तक कि किसी आतंकी संगठन के साथ उनके संबंधों का भी पता नहीं चलता। केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने सोना तस्करी को लेकर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से इस्तीफा सौंपने की मांग की है।
कोर्ट ने मामले के 10 आरोपितों की जमानत मंजूर करते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने एक दिन पहले गुरुवार को तीन आरोपितों की जमानत अर्जी भी खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा है, 'एनआइए ने फिर से आरोप लगाया गया है कि याचिकाकर्ताओं ने भारत की आर्थिक सुरक्षा को क्षति पहुंचाने के इरादे से काम किया है। केस डायरी में ऐसी कोई सामग्री नहीं है जिससे प्रथम दृष्ट्या यह संतुष्टि मिल सके कि उन्होंने ऐसे इरादे से काम किया था।'
कोर्ट ने कहा कि या तो एनआइए इस कोर्ट को याचिकाकर्ताओं को हिरासत में रखने के लिए बाध्य करने वाली सामग्री मुहैया कराए नहीं तो अदालत इन्हें अनिश्चितकाल तक हिरासत में नहीं रख सकती।
बता दें कि इससे पहले मामले में आतंकी संपर्कों की जांच कर रही NIA ने विशेष अदालत में बताया था कि इस रैकेट में माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम के गिरोह की भूमिका हो सकती है। एजेंसी ने कहा था कि सोने की तस्करी से मिलने वाले मुनाफे का इस्तेमाल राष्ट्रविरोधी गतिविधियों और आतंकी कृत्यों में होने की संभावना संबंधी खुफिया जानकारी है।
केरल सोना तस्करी मामले की प्रमुख आरोपित स्वप्ना सुरेश को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत मिल गई है। वह अभी जेल में ही रहेगी, क्योंकि सोना तस्करी से संबंधित अन्य मामलों में भी उसे गिरफ्तार किया गया है। एनआइए ने उसके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम का भी प्रयोग किया है। कोर्ट ने स्वप्ना की जमानत अर्जी पर पिछले सप्ताह फैसला सुरक्षित रख लिया था। उसे सीमा शुल्क विभाग द्वारा की जा रही जांच से संबंधित मामले में भी जमानत मिल चुकी है। सीमा शुल्क ने 60 दिनों की निर्धारित समयसीमा के भीतर अंतिम रिपोर्ट दाखिल नहीं कराई, जिस कारण उसे जमानत मिल गई।