रेप केस में तरुण तेजपाल को हाई कोर्ट से राहत नहीं
निचली अदालत में सात सितंबर को आरोप तय किए जाने की प्रक्रिया को चुनौती देते हुए तेजपाल के वकील अमन लेखी ने कहा कि दुष्कर्म का आरोप झूठा है।
पणजी, आइएएनएस। बांबे हाई कोर्ट ने तहलका के पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल के खिलाफ निचली अदालत में आरोप तय होने पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया। लेकिन हाई कोर्ट ने मंगलवार को निर्देश दिए गए निर्देश में कहा है कि उसकी अनुमति के बाद ही सुनवाई शुरू होगी। तहलका के प्रधान संपादक ने उत्तर गोवा जिला एवं सत्र अदालत द्वारा आरोप तय किए जाने को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। उनकी कनिष्ठ महिला सहयोगी ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था। उसी मामले में आरोप तय किया जाना है।
निचली अदालत में सात सितंबर को आरोप तय किए जाने की प्रक्रिया को चुनौती देते हुए तेजपाल के वकील अमन लेखी ने कहा कि दुष्कर्म का आरोप झूठा है। उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने उन्हें सुबूत सौंपने में तीन वर्षो की देरी की।
अभियोजन पक्ष के वकील सारेश लोतलिकर ने इसके जवाब में कहा कि केवल ट्रायल में ही पत्रकार के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सच्चाई स्थापित हो सकेगी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस पृथ्वीराज चवन ने निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट से मंजूरी लेने के बाद ही निचली अदालत में गवाही दर्ज हो सकेगी।
इस मामले में तेजपाल भादवि की धारा 341 (जबरन रोकने), 342 (जबरन बंधक बनाने) और धारा 376 (दुष्कर्म) के तहत आरोपों का सामना कर रहे हैं। इसके अलावा धारा 354 (बी) (नग्न करने की नीयत से आपराधिक हमला करना) भी जोड़ी गई है। पूर्व प्रधान संपादक पर नवंबर 2013 में उत्तर गोवा के एक होटल में अपनी कनिष्ठ महिला सहयोगी पर यौन हमला करने का आरोप है।
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