तीन तलाक निरस्त होने के बाद कानून बनाने की जरूरत नहीं
तीन तलाक संबंधित ऐतिहासिक फैसले लिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब कानून की जरूरत नहीं रह गई है।
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के बहुमत से दिये गये फैसले में एक बार में तीन तलाक निरस्त होने के बाद इसे खत्म करने के लिए किसी तरह का कानून लाने की जरूरत नहीं रह गई है।
तय व्यवस्था के मुताबिक बहुमत का फैसला ही लागू होता है। सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के तीन न्यायाधीशों ने बहुमत से फैसला देते हुए एक बार में तीन तलाक यानि तलाक ए बिद्दत को असंवैधानिक करार दे निरस्त कर दिया है। बहुमत के फैसले के बाद से भारत में तलाक ए बिद्दत का प्रचलन खत्म हो गया है।
ऐसे में दो न्यायाधीशों के अल्पमत के फैसले में इस प्रचलन को खत्म करने के लिए सरकार को कानून बनाने पर विचार करने के दिये गये निर्देश का कोई मतलब नहीं रह गया है। वैसे तो विधायिका जब चाहे जिस विषय पर चाहे कानून बना सकती है। इसके लिए उसे कोर्ट या किसी और संस्था की सलाह अथवा निर्देश की जरूरत नहीं होती, लेकिन इस मामले में जब तलाक बिद्दत की व्यवस्था ही गैरकानूनी और असंवैधानिक घोषित होकर निरस्त की जा चुकी है तो ऐसे में उसे खत्म करने के लिए अब किसी कानून की जरूरत नहीं है।
हालांकि कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद कहते हैं कि सरकार फैसले को पढ़ने के बाद परिस्थितियों के मुताबिक जरूरत पड़ने पर उचित निर्णय लेगी।