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शंकराचार्य को केदारनाथ की पूजा परंपराओं का ज्ञान नहीं

देहरादून [जागरण संवाददाता]। पूरी केदारघाटी में तबाही का मंजर है। खुद केदारनाथ धाम ने मरघट जैसा सन्नाटा पसरा हुआ है। हजारों घर तबाह हो गए और कितनी जानें गई, इसकी कल्पना मात्र से ही रूह कांप जाती है। लेकिन धर्म के रक्षक इस सबसे बेखबर 'सही क्या है और गलत क्या' के विवाद में उलझे हुए हैं। केदारनाथ धाम में पूज

By Edited By: Published: Tue, 25 Jun 2013 10:26 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jun 2013 10:30 PM (IST)
शंकराचार्य को केदारनाथ की पूजा परंपराओं का ज्ञान नहीं

देहरादून [जागरण संवाददाता]। पूरी केदारघाटी में तबाही का मंजर है। खुद केदारनाथ धाम ने मरघट जैसा सन्नाटा पसरा हुआ है। हजारों घर तबाह हो गए और कितनी जानें गई, इसकी कल्पना मात्र से ही रूह कांप जाती है। लेकिन धर्म के रक्षक इस सबसे बेखबर 'सही क्या है और गलत क्या' के विवाद में उलझे हुए हैं। केदारनाथ धाम में पूजा क्यों नहीं हो रही और ओंकारेश्वर मंदिर में कैसे हो रही है, इसे लेकर आरोप-प्रत्यारोपों का दौर सा चल पड़ा है। मंदिर के रावल [मुख्य पुजारी] भीमा शंकर लिंग ने यहां तक कह दिया कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद को केदारनाथ की पूजा-परंपराओं का ज्ञान नहीं है।

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विवाद की शुरुआत सोमवार को ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान केदारनाथ की पूजा शुरू होने के साथ हुई। रावल भीमा शंकर लिंग के अनुसार, आपदा के बाद केदारनाथ मंदिर अशुद्ध हो गया है और जब तक उसका शुद्धिकरण नहीं हो जाता, तब तक वहां पूजा नहीं की जा सकती। शास्त्रों के अनुसार पूजा का क्रम नहीं टूटना चाहिए, इसलिए विग्रह मूर्ति को ओंकारेश्वर मंदिर में स्थापित कर वहां पूजा की जा रही है। इसी बात से ज्योतिषपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती खफा हैं। उनका दो टूक कहना है कि कपाट खुलने के बाद रावल को किसी भी स्थिति में मंदिर नहीं छोड़ना चाहिए था। यही शास्त्र है और यही परंपरा भी, जिसका उन्होंने निर्वहन नहीं किया।

इस मामले में रावल भीमा शंकर लिंग का कहना है कि स्वरूपानंद को केदारनाथ की पूजा-परंपराओं का ज्ञान नहीं है। केदारनाथ में रावल गुरु गद्दी में विराजमान रहते हैं और रावल के पांच शिष्यों में से एक केदारनाथ में पूजा करते आये हैं। रावल ने कहा कि जिस भाषा का प्रयोग स्वरूपानंद ने उनके लिए किया है, उस भाषा का प्रयोग वह नहीं करेंगे। रावल किसी भी बंधन से मुक्त हैं और वे कपाट खुलने के बाद भी धर्म प्रचार के लिए देश के किसी भी कोने में जा सकते हैं। जबकि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का कहना है कि केदारनाथ के रावल ने परंपराओं को तोड़ा है, लिहाजा उन्होंने मंदिर में पूजा करने का अधिकार भी खो दिया है।

केदारनाथ कूच को तैयार संत

दूसरी तरफ, केदारनाथ मंदिर की साफ-सफाई कर वहां पूजा शुरूकराने की बात को लेकर संतों की नाराजगी बढ़ती जा रही है। मंगलवार को श्री हरिकृष्णा धाम में हुई बैठक में संतों ने एक स्वर में उनकी निंदा कर ऊखीमठ में हो रही पूजा को खारिज कर दिया। मांग की गई कि सरकार अविलंब केदारनाथ में पूजा शुरू कराने की व्यवस्था करे। सरकार ऐसा कर पाने में असमर्थ रहती है तो संतों का एक दल खुद के खर्चे पर केदारनाथ जा वहां स्वयं साफ-सफाई और शुद्धिकरण कर पूजा शुरू करेगा। सरकार को इसके लिए 24 घंटे का समय देने की बात कही गई।

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