एटीएम से रकम निकासी और चेक बुक जारी करने जैसी मुफ्त सेवाओं पर जीएसटी नहीं
एटीएम से रकम की निकासी और ग्राहकों को चेक बुक जारी करने जैसी मुफ्त सेवाओं पर बैंक जीएसटी लेने के हकदार नहीं होंगे।
नई दिल्ली (प्रेट्र)। राजस्व विभाग ने स्पष्ट किया है कि अगर क्रेडिट कार्ड के बकाये का भुगतान समय पर नहीं किया गया, तो उस पर लगने वाले विलंब शुल्क पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगेगा। वहीं, एटीएम से रकम की निकासी और ग्राहकों को चेक बुक जारी करने जैसी मुफ्त सेवाओं पर बैंक जीएसटी लेने के हकदार नहीं होंगे। इसके साथ ही संपत्ति के बदले लिए गए कर्ज के ब्याज पर भी जीएसटी लिया जाएगा।
बैंकिंग, इंश्योरेंस और शेयरों की खरीद-फरोख्त से जुड़ी मुफ्त सेवाओं पर जीएसटी लगने या नहीं लगने के मामले में लगातार पूछे जा रहे सवालों और शंकाओं पर राजस्व विभाग ने स्थिति पूरी तरह स्पष्ट कर दी है। विभाग ने कहा है कि अनिवासी भारतीयों (एनआरआइ) द्वारा खरीदी गई इंश्योरेंस पॉलिसी पर जीएसटी लगेगा। इसके साथ ही म्यूचुअल फंड्स से बाहर निकलने के मामले में एक्जिट लोड पर भी जीएसटी लगेगा। लेकिन सिक्युरिटीज, डेरिवेटिव्स और फॉरवार्ड कांट्रैक्ट्स से जुड़े लेनदेन को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है।
गौरतलब है कि अपने ग्राहकों को दी जा रही मुफ्त सेवाओं के लिए भी बैंकों से सेवा कर की मांग की गई थी। उसके बाद पिछले महीने वित्तीय सेवा विभाग ने बैंकों और कुछ अन्य वित्तीय संस्थाओं की मुफ्त सेवाओं को जीएसटी दायरे से बाहर रखने की मांग राजस्व विभाग से की थी। म्यूचुअल फंड्स के मामले में विभाग ने स्पष्ट किया है कि अगर एक्जिट लोड उस फंड की यूनिट्स के रूप में भी है, तो भी यह माना जा सकता है कि हासिल रकम को बाद में नेट असेट वैल्यू (एनएवी) यूनिट्स में बदल दिया गया गया है।
अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को ड्यूटी फ्री शॉप्स में जीएसटी नहीं लगेगा
एयरपोर्ट के ड्यूटी फ्री शॉप्स से सामान खरीदने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को जीएसटी का भुगतान नहीं करना होगा। राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि विभाग का स्पष्ट मानना है कि हम अपने टैक्स का निर्यात नहीं कर सकते। इस मामले पर हमारा स्पष्टीकरण यही है कि एयरपोर्ट्स के ड्यूटी फ्री शॉप्स पर जीएसटी नहीं लगेगा।
गौरतलब है कि इस वर्ष मार्च में अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (एएआर) की नई दिल्ली खंडपीठ ने ऐसी शॉप्स को जीएसटी के दायरे में लाने का आदेश दिया था। उसके बाद राजस्व विभाग से इस पर अपना पक्ष स्पष्ट करने संबंधी सवाल पूछे जाने लगे। जीएसटी लागू होने से पहले की कराधान व्यवस्था में ड्यूटी फ्री शॉप्स को केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) और मूल्य संवर्धित कर (वैट) के दायरे से बाहर रखा गया था।