आरएसएस और ईसाई मिशनरियों में फर्क नहींः आदिवासी संगठन
क्या झारखंड में आदिवासी समाज संघ की मुखालफत कर रहा है, क्या आरएसएस आदिवासियों पर अपनी विचारधारा थोप रही है। ये ऐसे सवाल हैं जो संघ की चिंता बढ़ा सकते हैं।
नई दिल्ली। क्या झारखंड में आदिवासी समाज संघ की मुखालफत कर रहा है, क्या आरएसएस आदिवासियों पर अपनी विचारधारा थोप रही है। ये ऐसे सवाल हैं जो संघ की चिंता बढ़ा सकते हैं। ओरांव और संथाल समाज के लोगों ने कहा कि संघ और ईसाई मिशनरियों के मकसद एक जैसे हैं, उनमें कोई फर्क नहीं है।
ओरांव जनजाति के सरना धर्मगुरु बंधन टिग्गा ने कहा कि मिशनरियां लालच देकर आदिवासियों को ईसाई बनाने में जुटी हैं। वहीं संघ आदिवासियों पर हिंदुत्व की विचारधारा थोप रहा है।
संथाली समाज के लश्कर सोरेन ने कहा कि संघ आदिवासियों को जातिवाद का पाठ पढ़ा रहा है, लेकिन सभी आदिवासियों की एक ही जाति है।
रांची में संघ की कार्यकारी समिति की बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया था कि आदिवासी जन्म से ही हिन्दू हैं और उन्हें हिंन्दू पद्धति को अपनाना चाहिए। सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल के इस बयान के बाद बड़ी संख्या में आदिवासी सड़कों पर उतरे और संघ प्रमुख मोहन भागवत का पुतला फूंका। आदिवासियों ने संघ प्रमुख से खेद जताने की मांग की ।