रेल सुरक्षा के लिए कुछ भी करेंगे, धन की कमी नहीं
रेल, मेट्रो परियोजनाओं पर हुए सम्मेलन में रेल मंत्री का दावा, बोले-सुरक्षा सुविधाओं को बेहतर बनाने को जरा हट के सोचने की जरूरत...
नई दिल्ली, प्रेट्र : सुरक्षा के लिए रेलवे कुछ भी करने को तैयार है। इस मामले में धन की कमी आड़े नहीं आएगी। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को रेलवे और मेट्रो परियोजनाओं में तकनीकी प्रगति पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में यह दावा किया। अपने संबोधन में उन्होंने रेलवे को सुरक्षित बनाने में नवाचार की बात कही। साथ ही जोर दिया कि इस उद्देश्य के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध है।
गोयल ने कहा कि बजट आवंटन एक रुकावट है। अनुसंधान और नवाचार में यह बाधा बनता है। सिग्नल प्रणाली और लोकोमोटिव पायलटों के लिए फॉग विजन जैसी रेल सुरक्षा सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए उन्होंने जरा हट के सोचने की आवश्यकता बताई। कहा, 'व्यक्तिगत रूप से, मेरा मानना है कि बजट एक रुकावट है, यह पीछे ले जाता है। बजट का आवंटन वैज्ञानिकों को उस तरह आगे नहीं बढ़ने देता, जैसा वह चाहते हैं। बजट नवाचार को रोकता है।'
उन्होंने कहा, पूरे नेटवर्क की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रेलवे एक बड़े कार्यक्रम पर काम कर रहा है। सुरक्षा के लिए जितनी आवश्यकता है, उतना धन उपलब्ध है। वह बोले, 'मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यह उपलब्ध कराया जाएगा, मैं कह रहा हूं कि यह उपलब्ध है।' रेल मंत्री ने कहा कि वह नए विचारों या सुझावों के बिना रेलवे को सुरक्षित नहीं बना सकते हैं। आशा जताई कि नवाचार पैदा करने में यह सम्मेलन मददगार साबित होगा।
अपने संबोधन के दौरान उन्होंने उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के 27 सितंबर को आइआइएससी बेंगलुरु में दिए गए भाषण का उल्लेख किया। नायडू ने कहा था कि नवाचार ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अपनी बात को समझाते हुए गोयल ने कहा कि पिछली बार 1969 में अधिक गति, सुविधा और सुरक्षा सहूलियतों वाली एक ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस शुरू की गई थी। तब से 2017 तक हमने किसी भी महत्वपूर्ण नई तकनीकी पहल पर काम नहीं किया है। जो हमें यात्री सुरक्षा, सुविधा, उपयुक्तता और गति के अंतरराष्ट्रीय मानकों पर पहुंचाए।