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सहारा समूह के लग्जरी टाउनशिप एंबी वैली को नहीं मिल रहा कोई खरीदार

महाराष्ट्र में पुणे जिले के लोनावाला के करीब स्थित सहारा समूह के लग्जरी टाउनशिप एंबी वैली को कोई खरीदार नहीं मिल रहा है। इस कारण उसकी नीलामी प्रक्रिया को रोक दिया गया है।

By Jagran News NetworkEdited By: Published: Thu, 12 Jul 2018 09:04 PM (IST)Updated: Fri, 13 Jul 2018 07:37 AM (IST)
सहारा समूह के लग्जरी टाउनशिप एंबी वैली को नहीं मिल रहा कोई खरीदार
सहारा समूह के लग्जरी टाउनशिप एंबी वैली को नहीं मिल रहा कोई खरीदार

नई दिल्ली(प्रेट्र)। महाराष्ट्र में पुणे जिले के लोनावाला के करीब स्थित सहारा समूह के लग्जरी टाउनशिप एंबी वैली को कोई खरीदार नहीं मिल रहा है। इस कारण उसकी नीलामी प्रक्रिया को रोक दिया गया है। सरकारी लिक्विडेटर ने गुरुवार को यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी। उसने बताया कि नीलामी नोटिस जारी करने के बाद भी हिल एरिया में विकसित इस भव्य टाउनशिप को खरीदने के लिए कोई खरीदार सामने नहीं आ रहा है।

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मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ को बांबे हाई कोर्ट द्वारा नियुक्त सरकारी लिक्विडेटर ने उपरोक्त जानकारी दी। ध्यान रहे सर्वोच्च अदालत ने निवेशकों का पैसा लौटा पाने में सहारा समूह की विफलता को देखते हुए उसकी 39,000 करोड़ रुपये कीमत वाली एंबी वैली सिटी को नीलाम करने का फरमान अप्रैल में सुनाया था। सहारा समूह की इस संपत्ति को नियंत्रण में लेने के लिए उसने एक रिसीवर की भी नियुक्ति की थी और सरकारी लिक्विडेटर को नीलामी प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था ताकि निवेशकों के पैसे की वसूली की जा सके।

नीलामी प्रक्रिया रद होने के बाद सहारा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने शीर्ष कोर्ट को बताया कि दो कंपनियां मुंबई के वसई स्थित सहारा समूह की प्रापर्टी को खरीदना चाहती हैं। इससे मिलने वाले 1,000 करोड़ रुपये को सेबी-सहारा के खाते में जमा करा दिया जाएगा। इसके बाद न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और एके सिकरी की सदस्यता वाली पीठ ने सहारा की दलील मान ली। पीठ ने वसई स्थित संपत्ति खरीदने की इच्छुक दोनों फर्मो साई राइडम रिएल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड और प्राइम डाउन रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड को एक हजार करोड़ रुपये सेबी-सहारा के खाते में जमा कराने का निर्देश दिए।

इसके तहत शीर्ष अदालत ने 99 करोड़ रुपये का एक डिमांड ड्राफ्ट गुरुवार को ही जमा करा लिया। कोर्ट ने दोनों कंपनियों को 15 अगस्त तक 200 करोड़ और बाकी 682.8 करोड़ रुपये 12 सितंबर तक जमा कराने का आदेश दिया। साथ ही चेतावनी भी दी कि अगर तय अवधि में पैसा जमा कराने में कोताही बरती गई तो अवमानना का मामला तो अलग से चलेगा ही। साथ ही जमा धनराशि भी जब्त कर ली जाएगी।


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