जदयू-भाजपा में रार, गठबंधन टूटने तक बढ़ी दरार
जदयू और भाजपा की रार में अब टूट वाली दरारें साफ-साफ दिखने लगीं हैं। भाजपा के यह कहने कि नरेंद्र मोदी की धर्मनिरपेक्षता के मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए, के बाद जदयू की बारी थी। सबसे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह स्पष्ट किया कि गोधरा कांड और वहां हुई हिंसा को रोकने की जिम्मेदार
पटना। जदयू और भाजपा की रार में अब टूट वाली दरारें साफ-साफ दिखने लगीं हैं। भाजपा के यह कहने कि नरेंद्र मोदी की धर्मनिरपेक्षता के मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए, के बाद जदयू की बारी थी। सबसे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह स्पष्ट किया कि गोधरा कांड और वहां हुई हिंसा को रोकने की जिम्मेदारी राज्य (गुजरात) सरकार की थी। ध्यान रहे कि इस कांड के वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे। नीतीश पर इस बात के लिए अंगुली उठती रही है कि रेल मंत्री के रूप में उन्होंने गोधरा कांड के वक्त क्यों कुछ नहीं किया था? बहरहाल, जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने तो यहां तक कह दिया कि हम भाजपाइयों का पैर पकड़कर उनको बांधकर नहीं रखे हुए हैं। यानी, भाजपा गठबंधन के मामले में अपनी तरफ से कोई भी फैसला लेने को स्वतंत्र है। इस विवाद में पहली बार उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी खुले तौर पर कूदे। उन्होंने भी नरेंद्र मोदी आलोचना को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि गोधरा कांड के समय भले ही वह रेलमंत्री रहे हों, लेकिन कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है। नीतीश, मंगलवार को श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में काम्फेड के स्थापना दिवस समारोह के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि गोधरा की हिंसा के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है। रेल मंत्रालय केवल रेलवे की पटरी तक सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होता है। उसके बाद किसी शहर में फैली हिंसा व कानून व्यवस्था रोकना राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है। गोधरा हिंसा के समय राज्य सरकार को समुचित कदम उठाना चाहिए था। याद रहे कि सोमवार को भाजपा की प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कहा था कि गोधरा स्टेशन पर कारसेवकों के डिब्बे में जब आग लगी थी तब नीतीश कुमार एनडीए की सरकार में रेलमंत्री थे। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी इस मामले में नीतीश कुमार की आलोचना की थी। गौरतलब है कि 2002 गुजरात में गोधरा स्टेशन पर अयोध्या से लौट रहे कारसेवकों के डिब्बे में आग लगने कारण 58 की मौत के बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे।
नमो की आलोचना दुर्भाग्यपूर्ण: सुशील मोदी
नरेंद्र मोदी को लेकर बिहार में जदयू-भाजपा के मध्य बढ़ी तल्खी के बीच 18 अप्रैल को दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में होने वाली कोर कमेटी बैठक में जदयू के साथ रिश्तों पर विचार होगा। बैठक में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मंगल पांडेय, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, डा.सीपी ठाकुर, एनडीए के संयोजक नंदकिशोर यादव, अश्विनी चौबे, राधा मोहन सिंह, पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री नागेंद्र जी के अतिरिक्त राजीव प्रताप रूडी, रविशंकर प्रसाद और शाहनवाज हुसैन शामिल रहेंगे।
भाजपा के वरीय नेता उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने मुंह खोला, बहुत संभल कर बोले। किसी भी मसले पर धाराप्रवाह बोलने वाले सुशील मोदी ने लिखित संक्षिप्त बयान पढ़ा और संवाददाताओं से कह दिया कि आपका प्रश्न नहीं लूंगा। आपकी भूख नहीं पूरी कर पाऊंगा। जो अर्थ निकालना है निकाल लें। जो कह दिया सो कह दिया। मंगलवार को जनता दरबार के बाद वे पत्रकारों से बात कर रहे थे। मोदी ने इतना भर मौखिक कहा कि संसदीय बोर्ड की बैठक में राजनीतिक परिस्थिति और संगठन की स्थिति पर विचार होगा। एक बार प्रेस वार्ता स्थगित करने की भी सूचना आई। थोड़ी देर बाद कार्यक्रम पूर्ववत होने की सूचना दी गई।
बहरहाल, सुशील मोदी ने यह लिखित बयान पढ़ा- पिछले दिनों दिल्ली में संपन्न जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का बिना नाम लिए लेकिन संकेतों में जो आक्रमण किया या वह दुर्भाग्यपूर्ण है। जो हुआ वह नहीं होना चाहिए था। भाजपा के देश भर के कार्यकर्ता एवं समर्थक इस प्रकरण से दुखी हैं, मर्माहत हैं। एनडीए के घटक दलों को एक दूसरे पर आरोप लगाने के बजा पूरी शक्ति यूपीए सरकार को अपदस्थ करने पर केंद्रित करनी चाहिए। 18 अप्रैल को नई दिल्ली में कोर समिति बिहार की बैठक है जिसमें राज्य की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर विचार होगा। गठबंधन के बारे में संसदीय बोर्ड ही विचार करता है। अतबहरहाल, सुशील मोदी ने यह लिखित बयान पढ़ा- पिछले दिनों दिल्ली में संपन्न जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का बिना नाम लिए लेकिन संकेतों में जो आक्त्रमण किया या वह दुर्भाग्यपूर्ण है। जो हुआ वह नहीं होना चाहिए था। भाजपा के देश भर के कार्यकर्ता एवं समर्थक इस प्रकरण से दुखी हैं, मर्माहत हैं। एनडीए के घटक दलों को एक दूसरे पर आरोप लगाने के बजा पूरी शक्ति यूपीए सरकार को अपदस्थ करने पर केंद्रित करनी चाहिए। 18 अप्रैल को नई दिल्ली में कोर समिति बिहार की बैठक है जिसमें राज्य की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर विचार होगा। गठबंधन के बारे में संसदीय बोर्ड ही विचार करता है। समस्त घटनाक्रम के संदर्भ में संसदीय बोर्ड उचित समय पर उचित निर्णय लेगा।
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