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डॉ. सेन के सहारे भाजपा पर बरसे नीतीश

पटना [जागरण ब्यूरो]। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जो लोग नोबेल पुरस्कार विजेता डा. अम‌र्त्य सेन से 'भारत रत्न' वापस लेने की बात कह रहे हैं, उनकी सोच अधिनायकवादी है। मुख्यमंत्री इस प्रकरण के हवाले शुक्रवार को भाजपा पर खूब बरसे। हालांकि इस दौरान उन्होंने भाजपा का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा-'डा.अम‌र्त्य सेन जैसे ख्यात

By Edited By: Published: Fri, 26 Jul 2013 07:11 PM (IST)Updated: Fri, 26 Jul 2013 08:59 PM (IST)
डॉ. सेन के सहारे भाजपा पर बरसे नीतीश

पटना [जागरण ब्यूरो]। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जो लोग नोबेल पुरस्कार विजेता डा. अम‌र्त्य सेन से 'भारत रत्न' वापस लेने की बात कह रहे हैं, उनकी सोच अधिनायकवादी है। मुख्यमंत्री इस प्रकरण के हवाले शुक्रवार को भाजपा पर खूब बरसे। हालांकि इस दौरान उन्होंने भाजपा का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा-'डा.अम‌र्त्य सेन जैसे ख्यात अर्थशास्त्री को विचार रखने पर धमकाया जाता है। यह भारत की संविधान की भावना के प्रतिकूल है।' वे विधानसभा परिसर में संवाददाताओं से बात कर रहे थे। ध्यान रहे कि डा.सेन ने नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी का विरोध किया है। इसको लेकर भाजपा के कई बड़े नेता उनसे 'भारत रत्‍‌न' वापस लेने की बात कह रहे हैं।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत के संविधान के अनुसार सबको बोलने की आजादी है। भारत रत्न वापस किए जाने की बात कह कोई मन में भ्रम भले ही पाल सकता है पर यह नामुमकिन है। प्रो. अम‌र्त्य सेन महान अर्थशास्त्री हैं। गरीबी पर उनका काम है और समावेशी विकास की विचारधारा वाले हैं। वे न्याय के साथ विकास के पक्षधर रहे हैं। उनके विचार पर इतनी दूर तक जाकर भारत रत्न छीन लिए जाने की बात कहना गलत है। जदयू ने इसका कड़ा विरोध किया है। यह भारतीय संविधान की मर्यादा के विपरीत है। इसकी जितनी भी निंदा की जाये कम है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह वाणी की स्वतंत्रता खत्म किए जाने की बात है। लोकतंत्र की मूल भावना से खिलवाड़ करने जैसा है। देश का नेतृत्व करने की बात करने वाले इस तरह की बात करते हैं। वैसे यह बात अलग है कि उन्हें यह मौका मिलने वाला नहीं है।

गरीबी रेखा का नया पैमाना गरीबों के साथ मजाक

पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि गरीबी रेखा का नया पैमाना गरीबों के साथ मजाक है। यह गरीबी को 'अंडरइस्टीमेट' करने जैसी बात बात है। हम इससे सहमत नहीं हैं। पटना में गरीबी रेखा के मामले में उनकी सरकार ने कुछ वर्ष पहले एक बड़ा सेमिनार कराया था। दिग्गज अर्थशास्त्री और इस क्षेत्र के विशेषज्ञ उक्त सेमिनार में पहुंचे थे। उक्त सेमिनार में पटना डेक्लियरेशन 2008 जारी हुआ था। कुछ कैलोरी या आय को ही गरीबी रेखा का मानक नहीं माना जा सकता है। जीवन की बुनियादी जरूरतों के साथ सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार सभी को है। दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारा में अगर आप जाएं तो वहां नियमित रूप से लंगर चलता है। मुफ्त में भोजन मिलता है। ऐसे में यह तो नहीं कहा जा सकता है कि दिल्ली में मुफ्त में भोजन मिलता है।

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