कुछ राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन स्कीम को दोबारा शुरू करने पर चिंता में आए नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी
नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कई राज्यों द्वारा लिए गए उस फैसले पर चिंता जताई है जिसमें राज्य सरकारों ने पुरानी पेंशन स्कीम को दोबारा शुरू करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा है कि इसका असर नागरिकों पर पड़ेगा।
नई दिल्ली (एजेंसी)। नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कुछ राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजना को फिर से शुरू करने पर चिंता जताई है। बेरी का कहना है कि इस फैसले से भविष्य के करदाताओं पर अतिरिक्त झ पड़ेगा। उन्होंने कहा कि देश के सतत विकास को बढ़ावा देने की जरूरत है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि पूंजीगत व्यय बढ़ाने और राजकोषीय मजबूती के जरिए निजी क्षेत्र को आगे बढ़ाने पर जोर दिया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि वो पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को दोबारा शुरू करने को लेकर चिंतित हैं। इसका असर भविष्य के करदाताओं और नागरिकों पर पड़ेगा।
ओपीएस को एनडीए ने किया था बंद
बता दें कि ओपीएस, जिसके तहत सरकार द्वारा पूरी पेंशन राशि दी जाती थी, एनडीए सरकार द्वारा 1 अप्रैल, 2004 से बंद कर दी गई थी। नई पेंशन योजना के तहत, कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 फीसद पेंशन के लिए योगदान करते हैं, जबकि राज्य सरकार इसमें 14 फीसद योगदान करती है। बेरी ने कहा कि उन्हें लगता है कि सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा क्योंकि सभी भारत को एक विकसित अर्थव्यवस्था बनाना चाहते हैं और इसके लिए काम करना चाहते हैं। दो कांग्रेस शासित राज्यों, राजस्थान और छत्तीसगढ़ ने पहले ही ओपीएस को लागू करने का फैसला कर लिया है, जबकि भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश ने राज्य में सत्ता में आने पर इस योजना को बहाल करने का वादा किया है।
इन राज्यों ने लिया है फैसला
झारखंड ने भी ओपीएस को वापस करने का फैसला किया है, जबकि आम आदमी पार्टी शासित पंजाब ने हाल ही में ओपीएस को फिर से लागू करने की मंजूरी दी है। बेरी के मुताबिक सामान्य तौर पर, राज्य की उधारी आरबीआई द्वारा प्रभावी रूप से सीमित होती है। बेरी ने ये भी कहा कि पेंशन जैसी योजनाओं के ऐलान से सरकारों को लाभ होता है। लेकिन इसका भार भविष्य की सरकारों और नागरिकों को उठाना होगा। इसलिए सभी राजनीतिक दलों को ऐसे उपाय करने होंगे जिससे लोगों के हितों की रक्षा की जा सके।