Move to Jagran APP

पराली से कम्पोस्ट खाद बनाने की संभावनाएं तलाश रहा नीति आयोग

अध्ययन के नतीजों के आधार पर बनेगी पराली से कम्पोस्ट खाद बनाने संबंधी नीति

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 09:41 PM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 09:41 PM (IST)
पराली से कम्पोस्ट खाद बनाने की संभावनाएं तलाश रहा नीति आयोग
पराली से कम्पोस्ट खाद बनाने की संभावनाएं तलाश रहा नीति आयोग

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पर्यावरण के लिए खतरा बनी पराली के जलाने की परंपरा को खत्म करने के लिए नीति आयोग अब एक अनूठा प्रयोग करने पर विचार कर रहा है। आयोग देश में व्यापक स्तर पर पराली से कम्पोस्ट खाद बनाने की संभावनाएं तलाश रहा है। इसी दिशा में कदम उठाते हुए आयोग एक अध्ययन कराने जा रहा है ताकि पराली से कम्पोस्ट बनाने के लिए उपयुक्त तकनीक खोजी जा सके।

loksabha election banner

सूत्रों ने कहा कि इस अध्ययन के नतीजों के आधार पर आयोग इस मुद्दे पर नीति बनाएगा । इस अध्ययन का मकसद ऐसी प्रौद्योगिकी इजाद करना है जिससे फसल के अवशेषों खासकर धान की पराली से छह महीने के भीतर कम्पोस्ट बनाया जा सके। यह प्रौद्योगिकी आर्थिक दृष्टि से किफायती भी होनी चाहिए। यह तकनीक सस्ती होने पर इसका व्यापक स्तर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि पश्चिमोत्तर भारत खासकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धान की पराली जलाना आम बात है जिससे न सिर्फ वायु प्रदूषण फैलता जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि इससे मिट्टी के पोषक तत्व भी नष्ट होते हैं। एक अनुमान के अनुसार धान की पराली जलाने से हर साल 38.5 लाख टन आर्गेनिक कार्बन, 59000 टन नाइट्रोजन, 20,000 टन फास्फोरस और 34000 टन पोटासियम का नुकसान होता है। इसी तरह गेहूं व गन्ने के फसल अवशेषों को जलाने पर भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। सूत्रों ने कहा कि पराली जलाने के चलते मिट्टी में जितने पोषक तत्वों की हानि होती है वह लगभग 1.8 करोड़ डालर मूल्य के यूरिया के बराबर है। ऐसे में अगर पराली से कम्पोस्ट खाद बनाया जाता है तो इससे किसानों को लाभ होगा।

सूत्रों के मुताबिक देश में हर साल तकरीबन 50 करोड़ टन कृषि अवशेष निकलता है। इससे राजधानी दिल्ली और पूरे एनसीआर में हर साल व्यापक स्तर पर प्रदूषण भी फैलता है जो स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानजनक है। यही वजह है कि सरकार ने हाल के वर्षो में पराली की समस्या से निपटने के लिए एक के बाद एक कई कदम उठाए हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.