नीति आयोग ने देश के विकास के लिए जारी की 'पंचवर्षीय' रणनीति
किसानों को एग्रीप्रीन्योर बनाने की जरूरत पर बल दिया गया है। लंबे इंतजार के बाद आयोग ने पंचवर्षीय रणनीति दस्तावेज जारी किया है।
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। योजना आयोग की पंचवर्षीय योजनाओं की तर्ज पर नीति आयोग ने देश के विकास के लिए 'पंचवर्षीय' रणनीति बनायी है। आयोग ने इस रणनीति के तहत अगले पांच साल में सालाना औसतन आठ फीसदी विकास दर हासिल कर 2022-23 तक देश की अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ाकर चार ट्रिलियन डालर करने का लक्ष्य रखा है। इसमें कहा गया है कि पर्याप्त नौकरियां सृजित करने और सबकी समृद्धि के लिए सालाना 9 प्रतिशत विकास दर जरूरी है।
2022 तक भारत को चार ट्रिलियन की इकॉनामी बनाने का लक्ष्य
'स्ट्रैटेजी फॉर न्यू इंडिया एट 75' शीर्षक से जारी किए गए इस दस्तावेज में नीति आयोग ने 41 सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों को अलग-अलग अध्यायों के रूप में चार खंडों में विभाजित कर विकास की रणनीति सुझायी गयी है। आयोग ने यह दस्तावेज केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर विभन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों से परामर्श के आधार पर तैयार किया है।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बुधवार को यह दस्तावेज जारी किया। इस मौके पर वित्त मंत्री ने कहा कि ठोस नीति अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाएगी और यह लोगों को गरीबी से निकालकर बेहतर जीवन प्रदान करेगी। जेटली ने परोक्ष रूप से कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि नारों से नहीं ठोस नीतियों से लोगों की गरीबी दूर होगी और उनकी आकांक्षाएं पूरी होंगी।
अगले पांच साल के लिए आयोग ने सालाना आठ फीसदी विकास दर का रखा लक्ष्य
आयोग ने इस दस्तावेज में 2018 से 2023 के दौरान सालाना औसतन आठ प्रतिशत विकास दर का लक्ष्य तय किया है। आयोग का कहना है कि इस विकास दर की बदौलत अर्थव्यवस्था 2017-18 में 2.7 ट्रिलियन (2.7 लाख करोड़) डालर से बढ़कर 2022-23 में चार ट्रिलियन डालर की हो जाएगी।
आयोग के मुताबिक वर्ष 2017-18 में देश की प्रति व्यक्ति आय 1900 डालर है जो 2022-23 में बढ़कर 3000 डालर हो जाएगी। साथ ही 2022-23 तक 9-10 प्रतिशत विकास दर का आंकड़ा छूने का इरादा भी इस दस्तावेज में व्यक्त किया गया है।
नीति आयोग का कहना है कि पर्याप्त नौकरियां और सबके लिए समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सालाना 9 फीसदी आर्थिक वृद्धि दर की जरूरत है। विकास दर का यह स्तर हासिल करने के लिए इसमें चार सूत्रीय रणनीति सुझायी गयी है जिसके तहत अर्थव्यवस्था में निवेश की दर मौजूदा 29 प्रतिशत से बढ़ाकर 2022 तक 36 प्रतिशत करने की जरूरत बतायी गयी है।
कृषि क्षेत्र की दशा सुधारने के लिए जीरो बजट नेचुरल फार्मिग को जोरदार तरीके से बढ़ावा देने, एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमिटी एक्ट की जगह एग्रीकल्चर प्रड्यूस एंड लाइवस्टॉक मार्केटिंग एक्ट बनाने, राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ई-नाम को विस्तार देने तथा किसानों को एग्रीप्रीन्योर (कृषि उद्यमी) बनाने की जरूरत पर बल दिया गया है। साथ ही रोजगार को बढ़ावा देने के लिए श्रम संहिता बनाने की सिफारिश भी इस रणनीति में की गयी है। इसके अलावा श्रम बल में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाकर 2022-23 तक 30 प्रतिशत करने लक्ष्य भी आयोग ने इसमें रखा है।
आयोग का यह लक्ष्य इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वित्त वर्ष 2017-18 में देश की विकास दर 6.7 प्रतिशत थी। इसलिए विकास दर को बढ़ाने के लिए सरकार को कई कदम उठाने होंगे।
उल्लेखनीय है कि नीति आयोग ने पूर्ववर्ती योजना आयोग द्वारा बनाई जाने वाली पंचवर्षीय योजनाओं की जगह तीन वर्षीय एक्शन प्लान, सात वर्षीय रणनीति और 15 वर्षीय दीर्घावधि दस्तावेज तैयार करने की घोषणा की थी। हालांकि लंबे इंतजार के बाद आयोग ने अब यह 'पंचवर्षीय' रणनीति दस्तावेज जारी किया है।
2022-23 तक हासिल करने हैं ये लक्ष्य
1. सालाना 8 प्रतिशत विकास दर
2. चार ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था
3. श्रम बल में महिलाओं की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी
4. ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स पर शीर्ष 50 देशों में भारत को पहुंचाना
5. मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की विकास दर दोगुनी करना
6. किसानों की आय दोगुनी करना
7. सबको आवास
8. तेल और गैस के आयात में 10 प्रतिशत की कमी करना
9. ब्रॉड गेज का शत प्रतिशत विद्युतीकरण
10. कक्षा दस तक शत प्रतिशत नामांकन और जीरो ड्रॉपआउट।
पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग का समर्थन करते हुए नीति आयोग ने कहा है कि तेल, प्राकृतिक गैस और बिजली को जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए। आयोग ने सभी तरह की ऊर्जा पर जीएसटी की दर समान रखने की वकालत भी की है।
आयोग ने यह सुझाव 'स्ट्रैटेजी फॉर न्यू इंडिया एट 75' शीर्षक से जारी किए रणनीति दस्तावेज में दिया है। इसमें कहा गया है कि तेल, प्राकृतिक गैस, बिजली और कोयला को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है ताकि इन क्षेत्रों में भी इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा मिल सके। इसके अलावा आयोग ने सभी तरह की ऊर्जा पर जीएसटी की दर समान रखने की सिफारिश की है। आयोग ने स्मार्ट ग्रिड और स्मार्ट मीटर को प्रोत्साहित करने की रणनीति भी सुझायी है।
नीति आयोग ने पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने का यह सुझाव ऐसे समय दिया है जब 22 दिसंबर को जीएसटी काउंसिल की 30वीं बैठक होने जा रही है। जीएसटी काउंसिल ही यह तय कर सकती है कि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाया जाए या नहीं। केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली इस काउंसिल में सभी राज्यों के वित्त मंत्री बतौर सदस्य शामिल हैं। ऐसे में पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में शामिल करने का आयोग का सुझाव काफी महत्वपूर्ण है। आयोग ने विमानन ईधन एटीएफ को भी जीएसटी के दायरे में लाने का सुझाव दिया है।
उल्लेखनीय है कि पेट्रोल, डीजल और एटीएफ सहित पांच पेट्रोलियम उत्पाद जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। हाल के महीनों में पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़ने के चलते अलग अलग वर्गो की ओर से इन उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की गयी है।