शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने को नीति आयोग ने अपनायी पांच सूत्रीय रणनीति
कुमार ने कहा कि विगत में सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि सबको शिक्षा मिले और सभी बच्चे स्कूल में नामांकित हों।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए नीति आयोग ने पांच सूत्रीय रणनीति अपनायी है। आयोग अपने 'साथ' कार्यक्रम के तहत चुनिंदा राज्यों में इस रणनीति पर अमल कर रहा है। इसके बाद अन्य राज्यों में भी इसे क्रियान्वित किया जाएगा।
'साथ' का मतलब है 'सस्टेनेबल एक्शन फॉर ट्रांसफॉर्मिग ह्यूमन कैपिटल'। नीति आयोग ने शिक्षा की स्थिति सुधारने के लिए तीन राज्यों- झारखंड, मध्य प्रदेश और उड़ीसा का चयन कर यह कार्यक्रम शुरु किया है। आयोग में शिक्षा मामलों के प्रभारी एडवाइजर और वरिष्ठ आइएएस अधिकारी आलोक कुमार का कहना है कि विगत दशकों में शिक्षा के क्षेत्र में स्कूलों में विद्यार्थियों का नामांकन अनुपात को काफी बेहतर हुआ लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता में वांछित सुधार नहीं आया। यही वजह है कि आयोग ने शिक्षा गुणवत्ता बेहतर बनाने के लिए नई रणनीति और रीति अपनायी है। यह पांच सूत्री रणनीति विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर करने से लेकर व्यवस्थागत खामियों को दूर करने से संबंधित है।
कुमार ने कहा कि आयोग शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए पांच सूत्रीय रणनीति के तहत स्कूलों में कोर्स पूरा कराने की परिपाटी से अलग इस बात पर फोकस कर रहा है कि कोर्स पूरा होने के बाद विद्यार्थियों ने कितना सीखा। इसी तरह कक्षाओं के कमजोर विद्यार्थियों का प्रदर्शन सुधारने, शैक्षिक निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करने व शिक्षकों की प्रशासनिक जिम्मेदारियों को तर्कसंगत बनाने पर भी जोर दिया जा रहा है।
कुमार ने कहा कि विगत में सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि सबको शिक्षा मिले और सभी बच्चे स्कूल में नामांकित हों। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए देश में साढ़े तीन लाख से अधिक सरकारी विद्यालय भी स्थापित हुए। हालांकि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए समग्रता के साथ उपाय नहीं हुए। इस समय देश में विद्यालयों की कमी नहीं है। इस समय देश की जरूरत शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की है। आयोग ने 'साथ' कार्यक्रम के तहत 2020 तक का रोडमैप तैयार किया है।