रूस से एस-400 मिसाइल खरीदने की तैयारी में भारत, रक्षा मंत्री सीतारमण जा रही मास्को
एस-400 असल में इसके पहले आए एस-300 मिसाइल प्रणाली का बेहतर संस्करण है। इसे रूस का सबसे बेहतर लांग रेंज सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर होने वाले 7वें मास्को सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण अगले सप्ताह रूस की यात्रा पर जाएंगी। 3 से 5 अप्रैल के बीच तीन दिवसीय इस यात्रा के दौरान उनका जोर भारत के पुराने दोस्त रूस से करीब 40,000 करोड़ रुपये के एस-400 मिसाइल सौदे को अंतिम रूप देने पर होगा।
चीन से जुड़ी करीब 4 हजार किमी लंबी सीमा पर अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने के प्रयासों को देखते हुए भारत के लिए यह रक्षा सौदा काफी अहम है। भारत असल में इस मामले में चीन से बराबरी हासिल करने के लिए एस-400 मिसाइल हासिल करना चाहता है। चीन ने सबसे पहले रूस से इस मिसाइल के लिए सौदा किया था। एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को खरीदने पर बातचीत करीब दो साल से चल रही है। इस एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम में एक साथ चार मिसाइलों का इस्तेमाल होता है।
एस-400 असल में इसके पहले आए एस-300 मिसाइल प्रणाली का बेहतर संस्करण है। इसे रूस का सबसे बेहतर लांग रेंज सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है। आकाश में लक्ष्यों को भेदने वाले एस-400 ट्रायम्फ प्रक्षेपास्त्रों की मारक क्षमता 400 किलोमीटर है। सीतारमण एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के डील को अंतिम रूप देना तो चाहेंगी ही, साथ ही वह परमाणु पनडुब्बी खरीदने के मामले में बने गतिरोध को भी दूर करना चाहेंगी।
रक्षा मंत्री के मुताबिक, भारत और रूस के बीच उच्च स्तरीय मुलाकात की परंपरा को बरकरार रखते हुए यह यात्रा आयोजित की जा रही है। यह यात्रा दोनों देशों के बीच उस पारंपरिक गर्मजोशी तथा मित्रवत संबंधों को, खासतौर पर सैन्य तकनीक सहयोग के क्षेत्र को और मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगी जो पहले से ही दोनों के बीच मौजूद है।