धांधली की नींव पर खड़ा था नीरव-मेहुल का कारोबार
नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने उद्यमियों ने सरकारी व निजी बैंकों के मुंबई स्थित शाखा से लेकर इनकी यूरोपीय, मारीशस शाखाओं के कर्मचारियों को मिला रखा था
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। देश के बैंकों को भारी भरकम चुना लगाने वाले रत्न व आभूषण क्षेत्र के कारोबारी उद्योगपति नीरव मोदी व मेहुल चोकसी के खिलाफ जैसे जैसे जांच आगे बढ़ रही है वैसे वैसे इनके काले कारोबार की परत खुलती जा रही है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) व गंभीर अपराध जांच संगठन (एसएफआइओ) की तरफ से की गई जांच के आधार पर जो सच्चाई सामने आये हैं वह बैंकिंग व्यवस्था के हर क्षेत्र में नियामक तंत्र के पंगु होने के गवाही देते हैं। इन दोनों उद्यमियों ने सरकारी व निजी बैंकों के मुंबई स्थित शाखा से लेकर इनकी यूरोपीय, मारीशस शाखाओं के कर्मचारियों को मिला रखा था जिसकी वजह से इनकी धांधली का पता कानों कान किसी को नहीं लगता था।
पिछले दिनों वित्त मंत्रालय और उक्त दोनो उद्यमियों के घपले के शिकार सरकारी बैंकों के उच्च अधिकारियों की घोटाले की पड़ताल में जुटी एजेंसियों के साथ बैठक हुई जिसमें अभी तक की जांच प्रगति के बारे में बताया गया। बैठक में शामिल एक प्रमुख बैंक के अधिकारी के मुताबिक, नीरव मोदी व मेहुल चोकसी ने कुल 107 कंपनियां और 7 एलएलपी बना रखी थी। इसके बारे में एसएफआईओ ने जब उनकी सारे रिकार्ड खंगाले तो पता चला। बैंकों से लेटर आफ अंडरटेकिंग और लेटर ऑफ क्रेडिट लेने के लिए इन कंपनियों के समूह में से किसी भी एक कंपनी का इस्तेमाल करते थे। यह एक बड़ी वजह रही कि बैंकों के जांच रडार पर इनकी गतिविधियां छिपी रही। सौ से ज्यादा इन कंपनियों की जांच अब सीबीआइ को सौंप दी गई है।
साथ ही यह खुलासा भी हुआ है कि इन्होंने सरकारी क्षेत्र के दो बड़े बैंकों के विदेश में स्थित शाखाओं के कुछ बड़े अधिकारियों को भी इन दोनों ने मिला कर रखा था जो इन्हें दी जाने वाली वित्तीय मदद को बैंक के नेटवर्क में देरी से डालते थे। सीबीआइ की जांच के दायरे में एसबीआइ की फ्रैंकफर्ट व मारीशस स्थित भारतीय स्टेट बैंक के शाखा में कार्यरत कुछ कर्मचारियों के आने के बाद यह बात अब सार्वजनिक हो चुकी है।
जैसे जैसे जांच की परत खुलती जा रही है वैसे वैसे नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की तरफ से किये गये घोटाले का आकार भी बढ़ता जा रहा है। पहले माना गया था कि यह घोटाला 11,200 करोड़ रुपये का है लेकिन कुछ ही दिनों बाद जब 1800 करोड़ रुपये के एक नये एलओयू का पर्दाफाश हुआ तो बताया गया कि घोटाले का आकार 13,000 करोड़ रुपये का है। अब जबकि सीबीआइ ने आइसीआइसीआइ बैंक की अगुवाई वाले कंसोर्टियम की तरफ से मेहुल चोकसी की कंपनी को 5300 करोड़ रुपये का कर्ज देने का मामला दर्ज होने के बाद घोटाले का आकार 18,300 करोड़ रुपये का हो गया है। जैसे जैसे जांच आगे बढ़ेगी वैसे वैसे घोटाले में फंसी में राशि के भी बढ़ने की आशंका है।
कहां है नीरव मोदी?
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बैंकिंग घोटाला करके फरार उद्योगपति नीरव मोदी के प्रत्यार्पण के लिए भारत सरकार ने हांगकांग सरकार से आग्रह किया है। लेकिन सरकार इस बात को लेकर सुनिश्चित नहीं है कि वह अभी हांगकांग में ही होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने यह जरुर बताया है कि 'वर्ष 1997 में भारत व हांगकांग के बीच एक दूसरे के भगोड़े अपराधियों को सौंपने का समझौता हुआ है जिसके आधार पर सरकार ने नीरव मोदी को वापस भेजने का आग्रह किया है। हांगकांग का न्याय विभाग इसकी जांच कर रहा है।'
हालांकि इस मामले से जुड़े एक अन्य अधिकारी का कहना है कि नीरव मोदी के खिलाफ अभी कोई रेड कार्नर नोटिस जारी नहीं की गई है। यह नोटिस तब जारी होगी जब सरकार जांच एजेंसियों की जांच के आधार पर इंटरपोल से ऐसा करने का आग्रह करेगा। ऐसे में वह एक आजाद व्यक्ति है। भारत सरकार को कुछ खुफिया एजेंसियों ने यह खबर जरुर दी थी कि अंतिम बार मोदी ने हांगकांग की यात्रा की है लेकिन यह भी हो सकता है कि वह वहां से किसी दूसरे देश को निकल गया हो।