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ठगी करने वाले नौ कॉल सेंटरों का पर्दाफाश, 70 लोग गिरफ्तार

पुलिस ने अमेरिकी नागरिकों के साथ ठगी में 700 कर्मचारियों वाले नौ कॉल सेंटरों पर छापे मारकर अंतरराष्ट्रीय रैकेट का पर्दाफाश किया है।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Thu, 06 Oct 2016 12:50 AM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2016 10:04 AM (IST)
ठगी करने वाले नौ कॉल सेंटरों का पर्दाफाश, 70 लोग गिरफ्तार

राज्य ब्यूरो, मुंबई : पुलिस ने अमेरिकी नागरिकों के साथ ठगी में 700 कर्मचारियों वाले नौ कॉल सेंटरों पर छापे मारकर अंतरराष्ट्रीय रैकेट का पर्दाफाश किया है। ठाणे पुलिस के क्राइम ब्रांच ने इस संबंध में 70 लोगों को गिरफ्तार किया है और करीब 600 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। ये कॉल सेंटर रोजाना करीब एक करोड़ से डेढ़ करोड़ रुपये तक की ठगी कर रहे थे।

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मुंबई से सटे ठाणे के मीरा रोड स्थित कॉल सेंटरों पर छापे में करीब 200 पुलिसकर्मी शामिल थे। छापे की कार्रवाई मंगलवार रात से बुधवार तड़के तक चली। पुलिस के मुताबिक, इस संबंध में शिकायत मिलने के बाद कॉल सेंटर कर्मचारियों पर नजर रखी गई और फिर छापेमारी की गई।

गिरफ्तार 70 लोगों में आठ लोग इसके प्रमुख कर्ताधर्ता बताए जाते हैं। अन्य 630 लोगों के खिलाफ आइपीसी की धारा 384, 419 और 420 तथा आइटी कानून की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। कुछ लोग अमेरिका से भी इससे जुड़े हैं। कॉल सेंटरों के मालिकों की अभी गिरफ्तारी नहीं हुई है।

छापेमारी में बड़ी संख्या में कंप्यूटर, लैपटॉप, 851 हार्ड डिस्क, मोबाइल हैंडसेट और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान बरामद किए गए हैं। बताया जाता है कि इन कॉल सेंटरों ने करीब 6500 अमेरिकियों से 3.6 करोड़ डॉलर (करीब 239 करोड़ रुपये) ऐंठे। बताया जाता है कि अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआइ ने इस मामले में पुलिस से संपर्क किया है।

नोएडा में भी पड़ सकते हैं छापे:

ठाणे पुलिस ने बताया कि इस संबंध में नोएडा, अहमदाबाद और बेंगलुरु में भी छापे की कारवाई की जा सकती है। इन स्थानों पर भी ऐसे कॉल सेंटर चलाए जाने का संदेह है।

ऐसे करते थे ठगी

पुलिस ने बताया कि इनके निशाने पर वैसे अमेरिकी नागरिक लोग होते थे, जिनके नाम टैक्स डिफॉल्टर लिस्ट में शामिल होते थे। कॉल सेंटर में काम करने वाले खुद को अमेरिकी टैक्स विभाग का अधिकारी बताकर गिरफ्तारी की धमकी देते और उनके बैंक खाते का विवरण मांगते थे।

विवरण मिलने के बाद उनके खाते से पैसे निकाल लेते थे। गिरफ्तारी से बचने के लिए अमेरिकी 500 से 60,000 डॉलर (करीब 33 हजार से 39.92 लाख रुपये) तक देने को सहमत हो जाते थे। आरोपी वॉयस ओवर इंटरनेट प्राटोकॉल (वीओआइपी) के जरिये संपर्क करते थे।

कर्मचारियों को कॉल सेंटर में काम करने के लिए बाकायदा अमेरिकी तर्ज पर अंग्रेजी बोलने का प्रशिक्षण दिया जाता था। ताकि बात करते समय अमेरिकी नागरिकों को उनपर शक न हो।

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