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मध्य प्रदेश : उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र में अवैध हथियारों की आपूर्ति का गढ़ बना निमाड़

हथियार ले जाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों का रूट चुना जाता है और सार्वजनिक परिवहन के माध्यम से सफर किया जाता है। निश्चित स्थान पर व्यक्ति बदल जाता है। इससे व्यक्ति विशेष की सूचना होने पर भी ये लोग पुलिस के शिकंजे से बच निकलते हैं।

By Neel RajputEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 10:29 PM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 10:29 PM (IST)
मध्य प्रदेश : उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र में अवैध हथियारों की आपूर्ति का गढ़ बना निमाड़
राशि मिलने के बाद जंगलों में बनाते हैं अवैध हथियार, सप्लाई के लिए नेटवर्क तैयार

भोपाल [मोहम्मद रफीक]। मध्य प्रदेश का निमाड़ क्षेत्र अवैध हथियारों की आपूर्ति का गढ़ बन गया है। खरगोन, धार और बड़वानी जिले के सिकलीगर समुदाय के कई लोग उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र में अवैध हथियार बेच रहे हैं। इन्हें बेचने के लिए इनका सशक्त नेटवर्क है। लंबी दूरी तक हथियार पहुंचाने में अलग-अलग व्यक्तियों को जिम्मेदारी दी जाती है। पुलिस को चकमा देने के लिए एक व्यक्ति हथियार लेकर 100 किमी से ज्यादा का सफर नहीं करता है। गौरतलब है कि इस अपराध में लिप्त खरगोन जिले के लोगों से जुड़े संपर्को के माध्यम से दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन 'नईदुनिया' ने जानकारी जुटाई।

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कोड के आधार पर एक व्यक्ति ने दो दिन अलग-अलग जगह बुलाया, लेकिन मुलाकात नहीं की। जब संतुष्ट हो गए तो एक व्यक्ति ने अपने फोन से बात कराई। दूसरी ओर से जो बताया गया, उसके अनुसार उत्तर प्रदेश व दिल्ली के लिए मुरैना और ग्वालियर को ठिकाना बनाया गया है। बड़वानी जिले से महाराष्ट्र में हथियार भेजे जाते हैं। साथ ही, खरगोन जिले की झिरन्या तहसील के पाल क्षेत्र का भी उपयोग किया जाता है। यहां से महाराष्ट्र की सीमा लग जाती है। हथियार सप्लाई के लिए हर जगह इनके एजेंट रहते हैं। हथियार ले जाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों का रूट चुना जाता है और सार्वजनिक परिवहन के माध्यम से सफर किया जाता है। निश्चित स्थान पर व्यक्ति बदल जाता है। इससे व्यक्ति विशेष की सूचना होने पर भी ये लोग पुलिस के शिकंजे से बच निकलते हैं। पहले से तैयार नहीं करते हथियार सूत्रों के अनुसार, ये लोग कुछ साल पहले तक हथियार बनाकर रखते थे।

पुलिस की दबिश में इनसे बड़ी संख्या में हथियार बरामद होते थे लेकिन अब इन्होंने रणनीति बदल ली है। अब हथियारों की कीमत मिलने के बाद इन्हें बनाने का काम शुरू किया जाता है। पहले घरों के आसपास या निश्चित ठिकानों पर हथियारों का निर्माण किया जाता था। अब इसका तरीका भी बदल लिया गया है। कच्चे माल के साथ घने जंगलों में भट्टी लगाई जाती है और वहीं से तय स्थान के लिए हथियार रवाना कर दिए जाते हैं। इससे पुलिस कार्रवाई में सिर्फ परिवहन के दौरान सीमित संख्या में ही हथियार बरामद होते हैं। भंगार से बना देते हैं हथियार हथियार बनाने के लिए सामग्री का इंतजाम भंगार में मिलने वाले लोहे के पाइपों से किया जाता है। इसके अलावा प्लंबिंग (नल के लिए किए जाने वाले कार्य) के काम के बहाने सामग्री जुटाई जाती है। अवैध हथियार बनाने में सिद्धहस्त हो चुके ये लोग तीन हजार से लेकर 25 हजार रपये तक में कट्टे और पिस्टल बेच रहे हैं।

मालूम हो, बीते महीनों में दिल्ली सहित कई प्रदेशों से पकड़े गए सिकलीगरों के निमाड़ क्षेत्र से जुड़े होने की पुष्टि हो चुकी है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, बीते एक वर्ष में खरगोन जिले में अवैध हथियारों के 22 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। 38 आरोपितों से 110 हथियार बरामद किए गए हैं।

खरगोन के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नीरज चौरसिया ने कहा, 'अवैध हथियारों के निर्माण और उनकी बिक्री में लिप्त लोगों पर पुलिस कड़ी नजर रखती है। लगातार कार्रवाई भी की जा रही है। इनका नेटवर्क तोड़ने के प्रयास जारी हैं।'


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