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भीमा मंडावी हत्याकांड: भूपेश सरकार को झटका, छत्तीसगढ़ पुलिस नहीं अब NIA करेगी जांच

बिलासपुर हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पीआर रामचन्द्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की याचिका खारिज किए जाने का फैसला सुनाया।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 01:19 PM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 05:34 PM (IST)
भीमा मंडावी हत्याकांड: भूपेश सरकार को झटका, छत्तीसगढ़ पुलिस नहीं अब NIA करेगी जांच
भीमा मंडावी हत्याकांड: भूपेश सरकार को झटका, छत्तीसगढ़ पुलिस नहीं अब NIA करेगी जांच

बिलासपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में तत्कालीन विधायक भीमा मंडावी की हत्या मामले में छत्तीसगढ़ सरकार को झटका लगा है। राज्य सरकार की याचिका को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश पीआर रामचन्द्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की याचिका खारिज किए जाने का फैसला सुनाया। अब भीमा मंडावी की मौत के मामले की जांच एनआईए ही करेगी। राज्य सरकार ने एनआईए को जांच से रोकने के लिए अदालत में याचिका लगाई थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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इससे पहले जस्टिस आरसीएस सामंत की एकलपीठ ने राज्य शासन व राज्य पुलिस को हत्याकांड से संबंधित दस्तावेज एनआईए को सौंपने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ राज्य शासन ने डिवीजन बेंच में रिट याचिका दायर की थी। अपील में कहा गया था कि राज्य पुलिस को ही इस मामले की जांच करने दी जाए। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

भीमा मंडावी ने 2018 विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव जीता था। दंतेवाड़ा की विधानसभा सीट से वह विधायक बने। बस्तर संभाग से भाजपा को जिताने वाले अकेले विधायक थे। वर्ष 2019 लोकसभा चुनावों की तैयारी के दौरान 9 अप्रैल को दंतेवाड़ा के नकुलनार के पास आईईडी ब्लास्ट में भीमा मंडावी और उनके ड्राइवर समेत तीन सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी।

घटना के बाद इसकी जांच एनआईए से कराए जाने की मांग उठी। राज्य सरकार ने राज्य पुलिस की एसआईटी गठित कर मामले की जांच का फैसला लिया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। पिछले 13 नवंबर को कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस दौरान एनआईए के वकील किशोर भादुड़ी ने बताया कि सुनवाई के दौरान राज्य शासन की तरफ से महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने विरोध किया था। उनका कहना था कि जांच काफी भीतर तक पहले ही राज्य की पुलिस कर चुकी है, ऐसे में यह मामला राज्य के पास ही रहना चाहिए। इस पर कोर्ट ने पूछा कि तो क्या आप अपराधी का नाम बता सकते हैं। महाधिवक्ता ने जवाब दिया कि अपराधी का नाम अब तक पता नहीं चला है। तब कोर्ट की तरफ से कहा गया कि ऐसे आप यह कैसे कह सकते हैं कि जांच काफी भीतर तक हुई।


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