गैस लीक मामले में एनएचआरसी ने आंध्र प्रदेश और केन्द्र को जारी किया नोटिस, हरकत में आई सरकार
एनएचआरसी ने गैस लीक की घटना को लोगों के मानवाधिकार का उल्लंघन बताते हुए कहा कोरोना महामारी के दौरान गैस लीक की हुई यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना लोगों के लिए और दुखदाई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश में गैस लीक होने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने स्वत: संज्ञान लिया है। एनएचआरसी ने आंध्र प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में बचाव और राहत कार्य तथा घटना पर हुई कार्रवाई पर रिपोर्ट मांगी है।
एनएचआरसी ने गैस लीक की घटना को लोगों के मानवाधिकार का उल्लंघन बताते हुए कहा कोरोना महामारी के दौरान गैस लीक की हुई यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना लोगों के लिए और दुखदाई है। आयोग ने आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर बचाव कार्य, पीडि़तों को चिकित्सीय सहायता और प्रभावित लोगों के पुनर्वास पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। साथ ही राज्य के डीजीपी को नोटिस जारी कर कहा है कि वह चार सप्ताह में आयोग को घटना मे दर्ज की गई एफआइआर और जांच की स्थिति के बारे में सूचित करे। इसके अलावा केन्द्र सरकार के कारपोरेट मंत्रालय को नोटिस जारी कर पूछा है कि वह ये जांच कर आयोग को रिपोर्ट दें कि इंडस्टि्रयल यूनिट के संचालन के बारे में तय नियम कानूनों का पालन हो रहा था कि नहीं। आयोग ने सभी से चार सप्ताह मे रिपोर्ट मांगी है।
गैस लीक के तत्काल बाद हरकत में आई केंद्र सरकार
विशाखापट्टम में स्टीरिन गैस के रिसाव की सूचना मिलते ही केंद्र सरकार तत्काल हरकत में आ गई। आसपास के गांव के लोगों को बाहर निकालने और पीड़ितों को इलाज मुहैया कराने के साथ ही वहां के लोगों पर पड़ने वाले इसके दूरगामी दुष्परिणामों से निपटने की भी तैयारी शुरू हो गई। शाम तक स्टीरिन गैस को निष्कि्रय करने के लिए पीटीबीसी रसायन के साथ विशेष प्रशिक्षित एनडीआरएफ दस्ता विशाखापट्टनम पहुंच गया है। एनडीआरएफ के अनुसार गैस से रिसाव से कुल 11 लोगों की मौत हुई है और लगभग दो दर्जन अस्पताल में भर्ती हैं, जिनकी स्थिति स्थिर बनी हुई है।
रात के लगभग तीन बजे गैस रिसाव की घटना हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने सबसे पहले मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी से फोन पर हालात की जानकारी ली और इससे निपटने के लिए जरूरी केंद्रीय मदद के बारे में पूछा। इसके बाद एनडीएमए की बैठक में प्रधानमंत्री ने सभी विभागों से इस गैस के पीडि़तों के लिए इलाज के तरीके, मौजूदा गैस के निष्कि्रय करने और उसके लंबे समय तक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया। जाहिर है प्रधानमंत्री की पहल के बाद पूरी सरकार हरकत में आ गई।
पीड़ितों के बेहतर इलाज जैसे सभी मुद्दों पर विचार
एनडीएमए की बैठक के बाद कैबिनेट सचिव तत्काल गृह, स्वास्थ्य, वन पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन, केमिकल एंड पेट्रोकेमिकल, फार्मा मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाई। बैठक में महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं (डीजीएचएस) और एम्स के डाक्टर भी मौजूद थे। बैठक में स्टीरिन गैस के खतरे, उससे बचाव, उसे निष्क्रियकरने से लेकर पीड़ितों के बेहतर इलाज जैसे सभी मुद्दों पर विचार किया गया। बैठक में सीजीएचएस को विशाखापट्टनम के स्थानीय डाक्टरों को स्टीरिन से पीडि़तों के बेहतर इलाज के बारे में जानकारी दी गई। इसके साथ ही पुणे में रसायनिक, जैविक, न्यूक्लियर आपदा से निपटने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित एनडीआरएफ के जवानों को विशाखापट्टनम भेजने का फैसला लिया। इसके साथ ही पता चला कि गुजरात के वापी में स्टीरीन गैस को निष्कि्रय करने का रसायन पीटीबीसी रसायन मौजूद है। वहां से 500 किलो ग्राम पीटीबीसी को तत्काल पुणे पहुंचाया गया, जिसे एनडीआरएफ की विशेष टीम लेकर विशाखापट्टनम पहुंची है। इसके साथ ही डाक्टरों व विशेषज्ञों के इस गैस से शरीर पर पड़ने वाले दीर्घकालीन प्रभावों का पता लगाने को कहा गया है ताकि उससे बचने के उपाय किये जा सके।
एनडीआरएफ के अनुसार विशाखापट्टनम स्थिति उसकी टीम को सुबह साढ़े पांच बजे गैस लीक की सूचना मिली। इसके आधे घंटे के भीतर एनडीआरएफ के जवान मौके पर पहुंच गए। विशेष पोशाक व उपकरणों से लैस एनडीआरएफ के जवानों ने फैक्ट्री में फंसे लोगों के साथ-साथ आसपास के गांव में पीडि़त लोगों के अस्पतालों तक पहुंचाया। इसके साथ ही तीन किलोमीटर के दायरे में सभी गांवों को खाली कराकर लगभग 1000 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया।