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NHRC : ट्रक ड्राइवरों के लिए हर 40 किमी पर बने विश्राम कक्ष, NHRC ने केंद्र और राज्यों को जारी किया परामर्श

ट्रक ड्राइवरों के मुद्दों पर व्यापार और मानवाधिकार पर कोर ग्रुप की बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने वाणिज्यिक ट्रक ड्राइवरों की दुर्दशा पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। पेंशन स्वास्थ्य बीमा जीवन बीमा ग्रेच्युटी आदि जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं मिलते हैं।

By Shashank Shekhar MishraEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 08:05 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 09:25 PM (IST)
NHRC : ट्रक ड्राइवरों के लिए हर 40 किमी पर बने विश्राम कक्ष, NHRC ने केंद्र और राज्यों को जारी किया परामर्श
सिफारिशों में मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में संशोधन करना शामिल है। (फोटो-एएनआइ)

नई दिल्ली, एएनआइ। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने वाणिज्यिक ट्रक ड्राइवरों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन को एक सलाह जारी की है। मानवाधिकार पर कोर ग्रुप की बैठक की अध्यक्षता करते हुए, उन्होंने वाणिज्यिक ट्रक ड्राइवरों की दुर्दशा पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए सहयोगात्मक, व्यावहारिक और कार्यान्वयन योग्य समाधान सुझाए दिए।

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एडवाइजरी जारी करते हुए आयोग ने पाया है कि देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने के बावजूद ट्रक चालकों के हक पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है, क्योंकि ट्रक कारोबार खंडित और असंगठित रहता है। "अधिकांश ट्रक ड्राइवरों को भविष्य निधि, पेंशन, स्वास्थ्य बीमा, जीवन बीमा, ग्रेच्युटी आदि जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं मिलते हैं। आयोग ने अपने महासचिव देवेंद्र कुमार सिंह के माध्यम से संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के सचिवों, राज्यों के मुख्य सचिवों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को लिखे पत्र में एडवाइजरी में अपनी सिफारिशों को लागू करने के लिए कहा है और कार्रवाई की मांग की है।

  • शोषण से सुरक्षा
  • ड्राइवरों को सुविधाओं का प्रावधान
  • सामाजिक आर्थिक सुरक्षा
  • वाणिज्यिक ट्रक ड्राइवरों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य

तीन माह में दें रिपोर्ट

आयोग ने केंद्र और राज्यों को पत्र भेजकर अपनी सिफारिशें लागू करने को कहा है और तीन महीने में कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है। एडवाइजरी में जो सिफारिशें की गई हैं, उनमें सड़क दुर्घटना की स्थिति में सहायता प्रदान करने के लिए राजमार्गो के किनारे नियमित दूरी पर ट्रामा सेंटर स्थापित करना भी शामिल है। परामर्श में कहा गया है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों और ट्रक ड्राइवरों के बीच संपर्क बहुत कम होना चाहिए।

इसके लिए तेज गति से ट्रक चलाने पर आटो जेनरेटेड चालान के साथ परमिट, फिटनेस प्रमाणपत्र आदि आनलाइन किया जाना चाहिए। ट्रक ड्राइवरों द्वारा ओवर लोडिंग और अन्य कानूनों का उल्लंघन करने पर ट्रकों की जब्ती और चालकों, सह चालकों की गिरफ्तारी के संबंध में एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) तैयार की जानी चाहिए। श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के लिए जागरूकता अभियान चालाया जाए, ताकि आयुष्मान भारत व अन्य सरकारी सुविधाएं उन्हें मिल सकें।


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