अहमदाबाद, पीटीआई। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (रिटायर) अरुण कुमार मिश्रा ने गुरुवार को 'गैरकानूनी इंटरनेट व्यवहार और साइबर अपराधों' से निपटने के लिए एक कड़े कानून की मांग की। वह गांधीनगर में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय में 25वें अखिल भारतीय फोरेंसिक विज्ञान सम्मेलन के उद्घाटन के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे।

साइबर नैतिकता को बढ़ावा देना जरूरी

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि साइबर नैतिकता को बढ़ावा देना जरूरी है। गैरकानूनी इंटरनेट व्यवहार और साइबर अपराधों को दंडित करने के लिए सरकार द्वारा कड़े कानून होने चाहिए। उन्होंने कहा कि कई देशों ने अपने कानूनों में 'विशेष रूप से नए प्रकार के अपराधों के आगमन के साथ-साथ साइबर अपराधों से निपटने के लिए' संशोधन किया है।

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साइबर अपराध से निपटने के लिए हों कड़े कानून

पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि सोशल मीडिया और साइबर स्पेस के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व्यक्तियों या मीडिया को दी गई स्वतंत्रता से बड़ी नहीं है। उन्होंने कहा कि मीडिया या व्यक्तियों को दी गई संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वही है जो सोशल मीडिया या साइबर स्पेस को दी गई है। यह उससे बड़ी नहीं है। इसलिए, साइबर अपराध से निपटने के लिए कड़े कानून होने चाहिए। हमें दुरुपयोग से बहुत सख्ती से निपटने की जरूरत है।

भारत में साइबर कानून

भारत में साइबर अपराध को तीन मुख्य अधिनियमों के अंतर्गत रखा गया है। ये अधिनियम हैं- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, भारतीय दंड संहिता और राज्य स्तरीय कानून। साइबर अपराध एक गैर कानूनी कार्य है जिसमें कंप्यूटर एक उपकरण या लक्ष्य या दोनों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इन दिनों 'साइबर अपराध' अपराध का सबसे नवीनतम एवं तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है।

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Edited By: Anurag Gupta