एनजीटी ने राज्यों को लगाई फटकार, छह माहीने में गंगा के सभी ट्रीटमेंट प्लांट पूरे करने का निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कहा कि उत्तराखंड उप्र झारखंड बिहार व बंगाल गंगा व सहायक नदियों में गंदे नाले व औद्योगिक कचरे को गिरने से रोकें।
नई दिल्ली, पीटीआइ। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंगा नदी में गंदे नाले गिरने नहीं बंद होने पर प्रशासन को फटकार लगाई है। साथ ही संबंधित सभी लंबित सीवेज ट्रीटमेंट परियोजनाओं को अगले साल 30 जून तक पूरा करने का निर्देश दिया है। एनजीटी का कहना है कि उत्तराखंड को छोड़ कर दिशा-निर्देशों के बावजूद किसी ने भी गंदे नालों के ट्रीटमेंट का काम पूरा नहीं किया है।
एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने बुधवार को कहा कि उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के दायरे में गंगा नदी के जल की गुणवत्ता को लेकर कोई जानकारी नहीं है। साथ ही मैदानी इलाकों में बाढ़ प्रभावित डूब क्षेत्र को लेकर भी कोई योजना सामने नहीं आई है। उत्तराखंड के अलावा किसी अन्य राज्य ने नालों की संख्या का ब्योरा नहीं दिया है। और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को नदी से विमुख करके किस दिशा में मोड़ा जा रहा है, इसकी भी कोई जानकारी नहीं दी गई है।
उन्होंने स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय अभियान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल को गंगा और उसकी सहायक नदियों में गंदे नाले और औद्योगिक कचरे को गिरने से रोकने को कहा है। साथ ही उन्होंने नदी के डूब क्षेत्रों को भी चिन्हित करने को कहा है। साथ ही प्रशासन को इन क्षेत्रों में अतिक्रमण रोकने का भी निर्देश दिया है।
खंडपीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह कानपुर के रनिया और कंचनपुर गांव में क्रोमियम की डंपिंग को रोकने के लिए उचित कदम उठाए। साथ ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जैव विविधता पार्क के विस्तार के लिए दिशा-निर्देश जारी करने और उसे अंतिम रूप देने का निर्देश दिया है।
खंडपीठ ने कहा कि राज्यों के मुख्य सचिव के अलावा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड की गठित निगरानी समिति को भी उसी तरह कार्य प्रगति पर नजर रखनी होगी, जैसे झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव रख रहे हैं। सभी राज्यों को अपनी अगली तिमाही कार्य प्रगति रिपोर्ट ई-मेल के जरिए 31 मार्च, 2020 तक भेजनी होगी।
उल्लेखनीय है कि पिछली बार एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार पर कानपुर में रनिया और राखी मंडी में गंगा नदी में घातक क्रोमियम का कचरा गिरने देने पर वहां प्रदूषण कर रही 22 टेनेरियों पर 280 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोंका था। इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को भी जिम्मेदार ठहराते हुए उस पर भी 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था। एनजीटी ने कहा कि पिछले 43 सालों से समस्या का निस्तारण नहीं किया गया, इसीलिए वहां भूमिगत जल भी दूषित हो गया है और लोगों के स्वास्थ्य और जीवन के लिए घातक हो गया है।