स्वदेशी मवेशियों के संरक्षण पर अपने आदेश की समीक्षा से एनजीटी का इन्कार
स्वदेशी नस्ल के मवेशियों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। जबकि विकसित देश अपने मवेशियों को संरक्षित करने के लिए कदम उठा रहे हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। मवेशियों की लुप्त हो रही स्वदेशी नस्लों के संरक्षण से संबंधित अपने आदेश पर पुनर्विचार से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मंगलवार को इन्कार कर दिया। ट्रिब्यूनल ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें पहले ही इस दिशा में कदम उठा रही हैं।
एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि उन्हें 14 अगस्त को जारी अपने आदेश में कोई खामी नजर नहीं आती। उक्त आदेश में ट्रिब्यूनल ने केंद्र और राज्य सरकारों की उस दलील को रेखांकित किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि वे संरक्षण की दिशा में कदम उठाएंगी। यह आदेश अधिवक्ता अश्वनी कुमार की याचिका पर जारी किया गया था।
उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया था कि देश में स्वदेशी नस्ल के मवेशियों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। ट्रिब्यूनल ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारों का यही रुख है कि स्वदेशी गायों के संरक्षण को बढ़ावा दिया जाना है, लिहाजा अब कोई निर्देश दिए जाने की जरूरत नहीं है।
अश्वनी कुमार ने अपनी याचिका में कहा था कि भारतीय नस्ल के मवेशियों को बढ़ावा देने की बजाय यूरोप, आस्ट्रेलिया और अमेरिका से क्रॉस-ब्रीड की गायों को आयात किया जा रहा है। जिसकी वजह से स्वदेशी गायों की संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है। जबकि विकसित देश अपने मवेशियों की विविधता को संरक्षित करने के लिए कदम उठा रहे हैं।