एनजीटी का आदेश, अमरनाथ यात्रियों को जयकारा लगाने से रोका जाए
एनजीटी ने अमरनाथ श्राइन बोर्ड को आदेश दिया है कि वह जयकारे और मंत्रों के उच्चारण पर रोक लगाए।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। एनजीटी ने पवित्र अमरनाथ गुफा को शांत क्षेत्र (साइलेंस जोन) घोषित करते हुए एक निश्चित सीमा से आगे जयकारे लगाने पर रोक लगा दी है। अमरनाथ श्राइन बोर्ड को इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश देते हुए एनजीटी प्रमुख जस्टिस स्वतंत्र कुमार की पीठ ने कहा कि बोर्ड गुफा के आसपास पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी दर्शनार्थी पवित्र शिवलिंग के दर्शन से वंचित न रहने पाए तथा भजन कीर्तन और जयकारों के कारण गुफा की शांति तथा पारिस्थितिकी संतुलन न भंग होने पाए।
इससे पहले ट्रिब्यूनल ने कहा कि अमरनाथ गुफा के आसपास के क्षेत्र को साइलेंस जोन घोषित करने से वहां प्राकृतिक हिमस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं को रोकने तथा गुफा की प्राचीन स्थिति को बरकरार रखने में मदद मिलेगी। पीठ ने कहा, 'किसी को भी पवित्र गुफा तक जाने वाली सीढ़ियों तक कोई सामान ले जाने की छूट नहीं दी जाएगी। प्रवेश द्वार पर सभी की तलाशी ली जाएगी। सीढ़ियों के अंतिम बिंदु से लेकर गुफा के भीतर तक के क्षेत्र को साइलेंस जोन घोषित किया जाना चाहिए।'
इसी के साथ एनजीटी ने हिम शिवलिंग के आगे लगी लोहे की ग्रिल को हटाने का आदेश भी दिया, ताकि भक्त शिवलिंग का बेहतर ढंग से दर्शन कर सकें। ट्रिब्यूनल ने अंतिम तलाशी बिंदु से आगे दर्शनार्थियों को कोई भी व्यक्तिगत सामान ले जाने से रोकने का आदेश भी दिया। एनजीटी ने श्राइन बोर्ड से कहा कि दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए वो गुफा के निकट एक ढांचे का निर्माण करे। एनजीटी ने पर्यावरण एवं वन सचिव की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति के गठन का आदेश भी दिया है। समिति तीर्थयात्रियों को प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के बारे में तीन सप्ताह के भीतर कार्य योजना तैयार कर एनजीटी को सौंपेगी।
इस मामले में याचिका दाखिल करने वाली पर्यावरण कार्यकर्ता गौरी मौलेखी ने एनजीटी के आदेश का स्वागत करते हुए उसकी प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि अमरनाथ गुफा अत्यंत नाजुक पारिस्थितिकी क्षेत्र में स्थित है। एनजीटी के आदेश से अमरनाथ यात्रा भक्तों के लिए ज्यादा सुरक्षित और सुविधाजनक हो सकेगी। इससे गुफा का क्षरण रुकेगा तथा इसका पवित्र स्वरूप आने वाली पीढि़यों के लिए भी बचा रहेगा। मामले की अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी।
इससे पहले एनजीटी ने नवंबर में तीर्थयात्रियों को पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं प्रदान न प्रदान करने के लिए अमरनाथ श्राइन बोर्ड को फटकार लगाई थी। एनजीटी सुप्रीमकोर्ट के 2012 के आदेश का पालन न करने पर भी नाराजगी जताई तथा श्राइन बोर्ड से पूछा था कि इतने सालों में उसने तीर्थयात्रियों की सुविधाओं के लिए कौन-कौन से कदम उठाए हैं। पीठ ने विशेषज्ञ समिति को इस बात की रिपोर्ट देने को भी कहा है कि गुफा तक जाने के लिए समुचित रास्ता बनाने, साफ-सफाई के इंतजामों तथा साइलेंस जोन घोषित करने जैसे कदम उठाए गए या नहीं।
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