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एनजीटी ने उप्र सरकार पर लगाया दस लाख का पर्यावरण जुर्माना

वैज्ञानिक महेंद्र पांडे की याचिका पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण सुनवाई कर रहा था।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Mon, 05 Feb 2018 08:57 PM (IST)Updated: Mon, 05 Feb 2018 08:57 PM (IST)
एनजीटी ने उप्र सरकार पर लगाया दस लाख का पर्यावरण जुर्माना
एनजीटी ने उप्र सरकार पर लगाया दस लाख का पर्यावरण जुर्माना

नई दिल्ली (पीटीआई)। नदियों में बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंतित राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। मुरादाबाद में रामगंगा तट से इलेक्ट्रानिक (ई) कचरे के निस्तारण के लिए कार्रवाई नहीं करने पर उसने उत्तर प्रदेश सरकार पर दस लाख रुपये का पर्यावरण जुर्माना लगाया है।

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वैज्ञानिक महेंद्र पांडे की याचिका पर सुनवाई करते हुए अधिकरण के कार्यवाहक अध्यक्ष यूडी साल्वी ने सोमवार को यह आदेश दिया। उन्होंने इस मामले में राज्य सरकार द्वारा कार्रवाई नहीं करने पर गहरा असंतोष व्यक्त किया। कहा कि नदी के किनारे से ई-कचरा के निस्तारण को लेकर अभी तक कुछ भी नहीं किया गया है।

जिलाधिकारी मुरादाबाद पर भी लगा जुर्माना

एनजीटी ने ई-कचरा निस्तारण की इस नाकामी को लेकर मुरादाबाद के जिलाधिकारी पर भी 50 हजार रुपये का पर्यावरण जुर्माना लगाया है। साल्वी की अध्यक्षता वाली एनजीटी की पीठ का कहना था, 'अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार ने कोई आधिकारिक आदेश नहीं जारी किया। रामगंगा नदी के किनारे पर हानिकारक ई-कचरे के निस्तारण के लिए अब तक कुछ नहीं किया। इसलिए हम उप्र सरकार पर दस लाख और जिलाधिकारी मुरादाबाद पर पचास हजार रुपये का पर्यावरण जुर्माना लगाते हैं।'

रामगंगा के लिए कार्ययोजना पेश करने को कहा

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को निर्देश दिया कि वह मामले की अगली सुनवाई के लिए निर्धारित तिथि 21 फरवरी से पहले पूरी रामगंगा नदी के लिए एक कार्ययोजना पेश करे। सुनवाई के दौरान एनजीटी ने उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वकील द्वारा दी गई दलीलों को भी संज्ञान में लिया। वकील का कहना था कि मुरादाबाद जिले में ई-कचरे के निस्तारण के लिए कोई संयंत्र नहीं है। नदी के किनारे गैरकानूनी तरीके से ई-कचरा को जमा किया जा रहा है।

कचरे के जखीरे में खतरनाक रसायन

इससे पूर्व एनजीटी द्वारा गठित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मुरादाबाद नगर निगम, उप्र लोक निर्माण विभाग और उप्र ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के अधिकारियों की समिति ने बताया था कि रामगंगा तट पर पड़े ई-कचरे के जखीरे में क्रोमियम एवं कैडमियम जैसे खतरनाक रसायन हैं, जो काले पाउडर की शक्ल में नदी में घुल उसे और प्रदूषित कर रहे हैं। समिति के अनुसार, कई उद्योगों का कचरा गिरने से यह पहले से ही बेहद प्रदूषित है।

रामगंगा का पौराणिक नाम रथवाहिनी

स्कंदपुराण के मानस खंड में रामगंगा नदी का उल्लेख रथवाहिनी नाम से हुआ है। उत्तराखंड के कुमाऊं एवं गढ़वाल मंडलों के विभिन्न प्राकृतिक जल स्रोतों से निकल 154 किलोमीटर की पहाड़ी यात्रा तय कर यह कालागढ़ के निकट बिजनौर जिले से मैेदानी क्षेत्र में उतरती है। इसके किनारे पड़ने वाले प्रमुख शहर अल्मोड़ा, नैनीताल, मुरादाबाद, बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, फर्रुखाबाद एवं हरदोई हैं। 610 किलोमीटर की पहाड़ी और मैदानी यात्रा करने के बाद यह कन्नौज के निकट गंगा नदी में मिल जाती है।

क्या है ई-कचरा

जब हम इलेक्ट्रानिक उपकरणों का लंबे समय तक इस्तेमाल करने के बाद उसे बदल देते हैं तो इस बेकार पड़े खराब उपकरण को ई-कचरा कहा जाता है। जैसे कंप्यूटर, मोबाइल फोन, प्रिंटर्स, फोटो कापी मशीन, बल्ब, ट्यूबलाइट, इन्वर्टर, यूपीएस आदि


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