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एनजीटी ने जताई चिंता, कहा- नदी में प्रदूषण रोकने को तंत्र बनाए जल शक्ति मंत्रालय

गुरुवार को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस तंत्र को राष्ट्रीय नदी पुनरुद्धार तंत्र (एनआरआरएम) कहा जा सकता है या कोई अन्य नाम दिया जा सकता है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 06:31 PM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 06:39 PM (IST)
एनजीटी ने जताई चिंता, कहा- नदी में प्रदूषण रोकने को तंत्र बनाए जल शक्ति मंत्रालय
एनजीटी ने कहा, सिर्फ 351 जगह तक सीमित न रहे नदियों के पुनरुद्धार का काम

नई दिल्ली, प्रेट्र। नदियों में बढ़ते प्रदूषण को लेकर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने चिंता जताई और सरकार को निर्देश दिया कि वह देश में नदियों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों की प्रभावी निगरानी और सभी प्रदूषित नदी क्षेत्रों के पुनरुद्धार के लिए उचित तंत्र स्थापित करे।

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गुरुवार को एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस तंत्र को राष्ट्रीय नदी पुनरुद्धार तंत्र (एनआरआरएम) कहा जा सकता है या कोई अन्य नाम दिया जा सकता है। यह तंत्र प्रभावी निगरानी के लिए राष्ट्रीय, राज्य तथा जिला पर्यावरण डाटा ग्रिड स्थापित करने के बारे में भी विचार कर सकता है।

पीठ ने कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को नई परियोजनाओं को शुरू करने और मौजूदा परियोजनाओं को समयसीमा में पूरा करने के लिए एक मिशन के तौर पर काम करना चाहिए।

नदियों के पुनरुद्धार का काम सिर्फ 351 जगहों तक ही नहीं रहना चाहिए सीमित: एनजीटी

एनजीटी ने कहा कि नदियों के पुनरुद्धार का काम सिर्फ 351 जगहों तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे सभी छोटी, मध्यम और बड़ी प्रदूषित नदियों, यहां तक कि सूख गई नदियों के लिए भी लागू किया जा सकता है। एनजीटी ने पूर्व में देश के 350 से ज्यादा प्रदूषित नदी क्षेत्रों को प्रदूषण मुक्त बनाने के उद्देश्य से एक केंद्रीय निगरानी समिति बनाई थी।

नदियों की गुणवत्ता हो रही खराब

एनजीटी ने कहा कि 1974 में बनाए गए जल अधिनियम के बावजूद नदियों का जल प्रदूषित हो रहा और उसकी गुणवत्ता खराब हो रही है। पीठ का यह निर्देश एक समाचार पत्र में छपे लेख के बाद आया जिसमें कहा गया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने 351 प्रदूषित नदी क्षेत्र को चिन्हित किया जिनमें 117 असम, गुजरात तथा महाराष्ट्र में हैं। बोर्ड ने संबंधित राज्यों से नदियों में बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंता जताई है।


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