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गंगा पर दो साल में सात हजार करोड़ खर्च, फिर भी हालात बदतर

ट्रिब्यूनल ने मिशन को यह रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 23 मई तक का समय दिया है।

By Manish NegiEdited By: Published: Tue, 15 May 2018 09:30 PM (IST)Updated: Tue, 15 May 2018 09:30 PM (IST)
गंगा पर दो साल में सात हजार करोड़ खर्च, फिर भी हालात बदतर
गंगा पर दो साल में सात हजार करोड़ खर्च, फिर भी हालात बदतर
style="text-align: justify;">नई दिल्ली, प्रेट्र। एनजीटी ने नेशनल क्लीन गंगा मिशन को फटकार लगाते हुए कहा है कि बार-बार कहने के बावजूद भी वह समग्र रिपोर्ट क्यों दाखिल नहीं कर रहा है। ट्रिब्यूनल ने गोमुख से उन्नाव तक गंगा की सफाई के लिए केंद्र व संबंधित राज्यों की तरफ से उठाए कदमों का ब्योरा मांगा था। जस्टिस जावेद रहीम ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि दो साल में सात हजार करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए, फिर भी हालात बदतर ही हैं।
ट्रिब्यूनल ने मिशन को यह रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 23 मई तक का समय दिया है। बीती तीन अप्रैल को एनजीटी ने कहा था कि मिशन उसे बताए कि ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के मामले में क्या प्रगति है। गंगा की सफाई को तय समय में करने को गंभीरता से लिया जा रहा है। ट्रिब्यूनल ने अपने 543 पेज के फैसले में कहा है कि गंगा के सौ मीटर दायरे में कोई निर्माण या विकास से जुड़ी गतिविधि नहीं चलेगी। पांच सौ मीटर दायरे में कूड़ा व कचरा फेंकने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
गंगा के प्रवाह क्षेत्र में मशीन से खनन को बंद करा दिया गया है तो किनारों पर इसके लिए शर्तों पर अनुमति दी गई है। कानपुर के जाजमऊ में स्थित टेनरियों से कहा गया है कि वह एक कार्ययोजना जमा कराएं। अगर टेनरी ऐसा नहीं करती हैं तो राज्य सरकार उन्हें तय समय में उन्नाव या किसी और जगह भेजे। जस्टिस जावेद रहीम ने मंगलवार को कहा कि उन्हें इससे मतलब नहीं है कि कौन किससे मीटिंग कर रहा है। उन्हें आदेश की पालना से सरोकार है।

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