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राजनेताओं और पुलिस अधिकारियों के बीच सांठगांठ के मसले पर सुप्रीम कोर्ट सख्‍त, कहा- ऐसा व्‍यवहार ठीक नहीं

राजनेताओं और पुलिस अफसरों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच कथित सांठगांठ के मसले पर प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि नौकरशाह और खास तौर पर पुलिस अधिकारी जिस तरह व्यवहार कर रहे हैं उस पर मुझे गहरी आपत्तियां हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 01 Oct 2021 08:50 PM (IST)Updated: Fri, 01 Oct 2021 08:58 PM (IST)
राजनेताओं और पुलिस अधिकारियों के बीच सांठगांठ के मसले पर सुप्रीम कोर्ट सख्‍त, कहा- ऐसा व्‍यवहार ठीक नहीं
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि पुलिस अधिकारी जिस तरह व्यवहार कर रहे हैं उस पर गहरी आपत्तियां हैं।

नई दिल्ली, पीटीआइ। राजनेताओं और पुलिस अफसरों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच कथित सांठगांठ का मुद्दा फिर से सतह पर लाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसने एक बार पुलिस अधिकारियों द्वारा किए जाने वाले अत्याचार की शिकायतों की जांच के लिए उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की अध्यक्षता में एक स्थायी समिति बनाने पर विचार किया था।

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प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने शुक्रवार को कहा, 'नौकरशाह और खास तौर पर पुलिस अधिकारी जिस तरह व्यवहार कर रहे हैं उस पर मुझे गहरी आपत्तियां हैं। एक बार मैं सोच रहा था कि पुलिस अफसरों के अत्याचारों की शिकायतों की जांच के लिए स्थायी समितियां बना दूं। अब मैं इसे सुरक्षित करना चाहता हूं। मैं इस समय यह नहीं करना चाहता हूं।'

जस्टिस रमना ने यह टिप्पणी छत्तीसगढ़ के निलंबित आइपीएस अधिकारी गुरजिंदर पाल सिंह की तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की। गुरजिंदर पाल सिंह ने राज्य सरकार की ओर से अपने खिलाफ राजद्रोह, भ्रष्टाचार और जबरन वसूली की तीन एफआइआर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं।

रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुरक्षित कर लिया है। हालांकि, उसकी ओर से फैसले के कुछ संकेत दिए गए। पीठ ने कहा कि वह निलंबित आइपीएस अफसर को दो मामलों (राजद्रोह और जबरन वसूली) में गिरफ्तारी से सुरक्षा देगी। शीर्ष अदालत ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से कहा है कि वह उनकी याचिकाओं पर आठ सप्ताह के भीतर फैसला ले।

आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के तीसरे मामले पर पीठ ने कहा कि गुरजिंदर पाल सिंह इसको लेकर उचित कानूनी रास्ता अख्तियार करने के लिए स्वतंत्र हैं, क्योंकि उन्होंने इस मामले को केवल सीबीआइ को स्थानांतरित करने और राज्य पुलिस द्वारा की जांच पर स्टे की मांग की है।

गुरजिंदर पाल सिंह की ओर से पेश वकील एफएस नरीमन ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ मनगढ़ंत आरोप लगाए गए हैं, क्योंकि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य के भाजपा नेता को फंसाने की साजिश में शामिल होने से इन्कार कर दिया था। एक अन्य वकील विकास सिंह ने कहा कि गुरजिंदर को जब सुप्रीम कोर्ट से तात्कालिक राहत मिल गई तो राज्य सरकार ने 12 सितंबर को तीसरी एफआइआर में एक गैरजमानती प्रविधान जोड़ दिया।

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और समीर सोढ़ी ने पीठ से कहा कि गुरजिंदर पाल सिंह किसी रियायत के हकदार नहीं है, क्योंकि उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं और जांच के दौरान पुलिस को पुख्ता सुबूत भी मिले हैं। रोहतगी ने हाथ से लिखी और फाड़ दी गई कथित आपत्तिजनक सामग्री का भी हवाला दिया और कहा कि इससे पता चलता है कि वह राजद्रोह वाली गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल थे और सरकार को गिराना चाहते थे। 


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