...तो इमाम बुखारी ने इसलिए किया 'आप' का समर्थन
जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी के दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के समर्थन में मतदान करने के ऐलान के बाद शुरू हुए विवाद में नया मोड़ आ गया है। सूत्रों की मानें तो इमाम का कहना है कि उन्होंने 'आप' के मांगने पर भी समर्थन
नई दिल्ली। जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी के दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के समर्थन में मतदान करने के ऐलान के बाद शुरू हुए विवाद में नया मोड़ आ गया है। सूत्रों की मानें तो इमाम का कहना है कि उन्होंने 'आप' के मांगने पर भी समर्थन का ऐलान किया था।
शुक्रवार को इमाम बुखारी ने अपील की थी कि मुस्लिम आम आदमी पार्टी का समर्थन करें और दिल्ली में एक धर्मनिपेक्ष सरकार बनवाएं। लेकिन इसके तुरंत बाद आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता संजय सिंह ने इमाम बुखारी का समर्थन लेने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि वह धर्म के आधार पर राजनीति करने में विश्वास नहीं रखते हैं। आम आदमी पार्टी को आम लोगों का जो साथ चाहिए था, वो मिल गया है। लेकिन अब शाही इमाम का कहना है कि पहले आम आदमी पार्टी द्वारा ही उनसे समर्थन की अपील की गई थी।
वैसे इमाम बुखारी की अपील का मुस्लिम समुदाय पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह भी सोचने का विषय है। पिछले लोकसभा चुनाव में इमाम बुखारी ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया था, लेकिन इन चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब इमाम की बात का प्रभाव सिर्फ जामा मस्जिद तक ही सिमट कर रह जाता है।
इस बात का अंदाजा शायद आम आदमी पार्टी को भी था, इसीलिए उन्होंने इमाम के समर्थन को तुरंत ठुकरा दिया। दरअसल, अगर आम आदमी पार्टी इमाम बुखारी के समर्थन को स्वीकार कर लेती तो उस पर धर्म के आधार पर राजनीति करने का आरोप लगता। ऐसे में 'आप' को कुछ मुस्लिम वोट मिलने की उम्मीद जरूर थी, लेकिन मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग उनसे जरूर दूर हो सकता था।
हालांकि उधर भाजपा ने डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत राम रहीम का समर्थन स्वीकार कर लिया। राम रहीम ने बताया कि उनके दिल्ली में दस लाख मतदाता है, जो भाजपा के पक्ष में वोट करेंगे।
इसे भी पढ़ें: पोलिंग बूथों पर वोटरों की लगी लंबी कतारें, मतदान जारी
इसे भी पढ़ें: दिल्ली चुनाव: केजरीवाल, बेदी और माकन की सीटों पर रहेगी नजर